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प्रो. तिवारी ने दिया जैव विविधता और औषधि पौधों के महत्व पर व्याख्यान

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कहा, मानव भी जैव विविधता का हिस्सा, संरक्षण की जिम्मदारी लेनी होगी
नैनीताल। मानव संसाधन विकास केंद्र कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के ततवावधान में आयोजित पर्यावरण विषय पर आयोजित पुनर्यचा कोर्स में शोध निदेशक प्रो ललित तिवारी ने जैव विविधता तथा औषधि पौधो पर व्याख्यान दिया।
प्रो तिवारी ने कहा के मानव भी जैव विविधता का हिस्सा हैं उसकी जिम्मेदारी है कि वह जैव विविधता को संरक्षित करे तथा सतत विकास में योगदान दे। औषधीय पौधों पर व्याख्यान देते हुए प्रो तिवारी ने कहा की लगभग 12से 18 प्रतिशत पौधे अभी तक औषधीय ज्ञात हुए हैं। उन्होंने अष्टवर्ग पौधों की जानकारी देते हुए कहा की इसमें से 5 प्रजाति दुर्लभ श्रेणी में आ गई हैं। इसलिए दोहन के साथ नई पौध भी लगानी होगी। उत्तराखंड में इसकी खेती की अपार संभावना है किंतु नियम बनाने की जरूरत है। कहा कि ईसबगोल, सीना, सोन पत्ती,गिलोय और अश्वगंधा की बहुत डिमांड है। पुनर्यचा कोर्स ऑनलाइन माध्यम से किया जा रहा है। इसमें देश के 60 प्रतिभागी प्राध्यापक भाग ले रहे हैं।

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