शासनादेश की प्रति

आदेश उत्तर प्रदेश सरकार का, सहमे हुए हैं उत्तराखंड के अधिकारी-कर्मचारी

ताजा खबर देश/विदेश राजकाज

यूपी: सरकारी कर्मचारियों की होगी छंटनी, 50 पार वालों पर गिरेगी गाज
विनोद पनेरू
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी कार्यो को चुस्त-दुरुस्त तरीके से कराने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। सरकारी नौकरी मिल जाने के बाद कर्मचारी इसे अपनी जागीर समझ लेते हैं। काम करें न करें मगर वेतन भत्तों के लिए सरकार पर आए दिन दबाव बनाने के लिए जब तक आंदोलन पर उतारू हो जाते हैं। मगर उत्तर प्रदेश सरकार ने इसका तोड़ निकाल लिया है। विभागों में सिर्फ काम के प्रति समर्पित लोगों को ही पूरी सेवा का मौका दिया जाएगा। नकारे कार्मिकों को 50 की उम्र होने के बाद स्क्रीनिंग में फेल होने के बाद रिटायर कर दिया जाएगा। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने इस सम्बंध में आदेश जारी कर दिये हैं। साथ ही विभागों से ऐसे कार्मिकों की सूची तलब की है। इस आदेश से उत्तर प्रदेश के कार्मिकों में तो खलबली है ही साथ ही उत्तराखंड के अधिकारी कर्मचारी भी सहमे हुए हैं।
दरअसल सरकारी नौकरी लगने के बाद अधिकांश कार्मिकों में काम चोरी की आदत घर करने लगती है। वे वेतन भत्ते तो पूरे चाहते हैं मगर काम से जी चुराते हैं। इसके बाद जब सेवानिवृत्ति का वक्त करीब आता है तो वे और भी ढीले पड़ जाते हैंए ये सोचकर कि अब तक कुछ समय बाद उनका रिटायरमेंट ही होना है। इससे कामकाज में देरी तो होती ही है और लोगों को भी बार-बार विभागों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। मगर उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी कामकाज में दक्षता लाने के लिए एक कदम उठाया है। इसके तहत सेवा को महज नौकरी समझने वाले 50 साल से अधिक आयु के कार्मिकों को सेवानिवृत्त करने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए कमेटी का गठन कर ऐसे कर्मचारियों का चयन किया जाएगा तो विभाग को कार्य में अपेक्षित सहयोग नहीं कर पा रहे हैं। उत्तर प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंघल ने सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर समस्त अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव व सचिव को आदेश जारी कर दिया है।
आदेश में कहा गया है कि 31 मार्च 2018 को 50 वर्ष पूरे करने वाले कार्मिकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए स्क्रीनिंग की जाए। अयोग्य पाए जाने पर उन्हें रिटायर कर दिया जाए। इस आदेश से उत्तर प्रदेश के कामिकों में तो खलबली मची ही है, साथ ही उत्तराखंड के अधिकारी कर्मचारी भी संशकित हैं कि कहीं उत्तराखंड में भी ऐसा आदेश लागू न हो जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *