अनिता ने बिजनेस वूमेन के रूप में बनाई पहचान तो नामी कंपनियों को टक्कर दे रहा रीतु उप्रेती का बुरांश ब्रांड
विनोद पनेरू
हल्द्वानी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को एमबी इंटर कालेज मैदान में आयोजित ईजा-बैणी महोत्सव में जब सफल उद्यमी के रूप में गौलापार की अनिता बेलवाल और हल्द्वानी की रीतु उप्रेती को सम्मानित किया तो समारोह में मौजूद हजारों की संख्या में मौजूद महिलाएं गौरवान्वित हो उठी। वहीं सीएम के हाथों एक बड़े समारोह में सम्मानित होकर अनिता बेलवाल और रीतु उप्रेती के हौसले और भी बुलन्द हो गए हैं। दोनों महिला करोड़ों का कारोबार सफलतापूर्वक चला रही हैं। आइए जानते हैं अनिता बेलवाल और रीतु उप्रेती के कारोबार की कहानी।
अनिता ने बिजनेस वूमेन के रूप में बनाई पहचान
बेलवाल भोग आटा मिल खोली, मसाला उद्योग भी किया स्थापित
हल्द्वानी। गौलापार की अनिता बेलवाल अब किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। कभी मार्केटिंग करने वाले पति के साथ स्वरोजगार की राह अपनाने वाली अनिता आज आटा मिल की मालकिन हैं। उनके आटा का ब्रांड काफी प्रसिद्ध हो चुका है। वहीं उन्होंने मसाला कारोबार में भी पैर जमा लिये हैं। करीब 35 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है। इन में आठ महिलाएं भी शामिल हैं। सालाना करीब 12 करोड़ का टर्न ओवर भी उन्हें प्राप्त हो जाता है।
लछमपुर गौलापार, हल्द्वानी की रहने वाली अनिता बेलवाल कुछ साल पहले तक उनके पति मुकेश बेलवाल खाद्य पदार्थ बेचने वाली कम्पनी में मार्केटिंग का काम करते थे और वे गृहणी के रूप में अपना जीवन व्यतीत कर रहीं थी। इस पर उन्होंने अपने पति को रुझाव दिया कि वे कुछ ऐसा काम शुरू करें जिसमें वह भी घर पर रहकर हाथ बंटा सकें और कमाई भी हो जाए। इस पर 2014 में पीएमईजीपी के तहत 25 लाख का लोन लेकर दो चक्की के आटे के प्लांट की नींच रखी गई। शुरुआत में आटा पीसकर उसकी पैकिंग कर बाजार में उतारा गया। पति मुकेश बेलवाल को मार्केटिंग के काम के अनुभव का लाभ मिला और उनका आटे की हल्द्वानी के आसपास की दुकानों से मांग आने लगी। इसके बाद 2019 में जिला उद्योग केन्द्र से एमएसएमई में दो करोड़ का लोन लेकर आटा, बेसन और दलिया का फुली आटोमेटिक प्लांट लगाया गया। वर्तमान में वे आटा, मसाला, दलिया, बेसन, सरसों का तेल आदि उत्पाद अपने प्लांट में तैयार करते हैं। पूरे कुमाऊं से उन्हें आटे और मसालों के आर्डर मिल जाते हैं।
अनिता बताती हैं कि वे अपने सभी उत्पादों को प्राकृतिक रूप में ही बेचती हैं। किसी भी प्रकार की मिलावट या रंग का प्रयोग उनके उत्पादों में नहीं होता है। उत्पाद थोड़ा महंगे हो सकते हैं मगर वे शुद्ध और सेहत के लिए लाभकारी ही साबित होते हैं। उन्होंने बताया कि आटा और मसाला व्यवसाय से उन्होंने 35 लोगों को रोजगार से भी जोड़ रखा है। सालाना करीब 12 करोड़ का टर्न ओवर भी उन्हें प्राप्त हो जाता है। वे कहतीं हैं कि स्वरोजगार रोजगार का सबसे बढ़िया जरिया है, लेकिन शुरुआत में काफी मेहनत के अलावा धैर्य की भी जरुरत होती है। लेकिन जब काम चल जाता है तो यह जीवनभर आय का जरिया भी बन जाता है।
नामी कंपनियों को टक्कर दे रहा रितु उप्रेती का बुरांश ब्रांड
गददे, तकिया, रजाई के कारोबार से जोड़े हैं 40 लोग, 30 डीलरों का स्थापित किया नेटवर्क
हल्द्वानी। जगदम्बा नगर, हल्द्वानी की रहने वाली रितु उप्रेती ने बाजार में बिकने वाले ब्रांडेड और आरामदायी रजाई, गददे तो वर्षो पहले से देखे थे और इनकी चमक- धमक और आरामदेयता की खासी कायल भी थी, लेकिन उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका कभी स्वयं का भी इसी तरह का व्यवसाय होगा, जो बाजार मेें ब्रांड बनकर उभरेगा। पाँच साल की कड़ी मेहनत और परिवार के सहयोग से आज बुरांश पूरे कुमाऊँ के साथ उत्तराखंड में एक ब्रांड के रूप में पहचान बना चुका है। रितु उप्रेती ने गददे, तकिया, रजाई के कारोबार से 40 लोगों को रोजगार से जोड़ा है और करीब 30 डीलरों की मजबूत टीम भी बनाई हुई है।
रितु उप्रेती ने बताया कि वे हमेशा से स्वयं का व्यवसाय करना चाहती थी लेकिन कभी भी यह समझ में नहीं आया कि क्या और कैसे किया जाए। एक बार की बात है। पति के मित्र घर आए हुए थे। चाय के दौरान पति हितेन्द्र उप्रेती को रजाई, गददे के व्यवसाय और उसमेें होने वाले लाभ के बारे में बताया। क्योंकि हमारे पास शहर के बीचोंबीच स्वयं की जमीन थी तो हमें वर्कशाप बनाने के लिए किसी भी तरह जमीन खरीदने या लीज पर लेने की जरूरत नहीं थी। रितु बताती हैं कि पति के मित्र का दिया सुझाव उन्हें पसंद आया। क्योंकि रजाई, गददे हर घर की जरूरत तो है ही साथ ही आजकल नए डिजाइन के रजाई, गददे और तकिये लोगों को पसंद आते हैं। ये काफी आरामदायक होने के साथ ही दिखने में आकर्षक भी होते हैं।
यह तय हो गया था कि हमें रजाई,गददे और तकिये बनाने का कारोबार ही करना है तो इस कारोबार की जानकारी जुटानी शुरू कर दी गई। बुरांश एक नाम जो उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत का घोतक है इस नाम और इस पहचान को और अधिक विस्तृत क्षेत्र तक पहुंचाने के विचार के साथ-साथ रोजगार के सृजन एवं आत्मनिर्भरता के दर्शन को साकार करने के उददेश्य से ही अपने ब्रांड का नाम बुरांश रखा गया। इसके बाद परिवार, पति और उनके मित्रों के सहयोग से 2018 के आखिरी में बुरांश मैट्रेस की नींव रखी गई। इसके लिए बकायदा जिला उद्योग केन्द्र, हल्द्वानी से पीएमईजीपी योजना के तहत 25 लाख का लोन यूनियन बैंक आफ इंडिया से लिया गया। इसके बाद इस व्यवसाय को स्थापित करने में काफी मेहनत की गई। इसी का परिणाम है कि बुरांश मैट्रेस की आज पूरे उत्तराखंड से मांग आती है। करीब 30 डीलरों की मजबूत टीम भी जोड़ी गई है। जो नामी ब्रांड को कड़ी टक्कर देने में सफल हो रही है। साथ ही 40 लोगों को रोजगार से भी जोड़ा गया है। रितु उप्रेती के पति हितेन्द्र उप्रेती बताते हैं कि परिवार व मित्रों के सहयोग से बुरांश आज एक नामी ब्रांड बन चुका है। करीब दो करोड़ का सालाना टर्न ओवर भी इस कारोबार से प्राप्त हो जाता है। बताया कि स्वरोजगार शुरू करके आत्मनिर्भर होने का गर्व तो है ही साथ ही समाज के जरूरतमंद लोगों की भी यथासंभव मदद करने की कोशिश बुरांश ब्रांड के बैनर तले की जाती है।