हल्द्वानी। उत्तराखण्ड राज्य गठन की रजत जयंती के अवसर पर जहां राज्य सरकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में तीन दिवसीय विशेष विधानसभा सत्र आयोजित कर रही है, वहीं प्रमुख राज्य आन्दोलनकारी हरीश पनेरू ने सरकार से एक अहम और ऐतिहासिक मांग उठाई है।
हरीश पनेरू ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार वास्तव में उत्तराखण्ड के पहाड़ी अंचलों का भला चाहते हैं, तो रजत जयंती वर्ष के इस अवसर पर गैरसैंण को उत्तराखण्ड की स्थायी राजधानी घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देहरादून में बैठकर पहाड़ों के विकास की बातें करना व्यर्थ है, क्योंकि पिछले 25 वर्षों में हर सरकार ने केवल राजधानी देहरादून को ही विकसित किया, जबकि पहाड़ों की स्थिति लगातार बद से बदतर होती चली गई।
पनेरू ने कहा कि आज पहाड़ी क्षेत्रों से भारी पलायन हो रहा है। शिक्षक, डॉक्टर, कर्मचारी और यहां तक कि जनप्रतिनिधि भी पहाड़ों में रहना नहीं चाहते। रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में लोग अपने पुश्तैनी घर-बार छोड़ने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि यदि राज्य की असली पहचान और अस्तित्व को बचाना है तो राजधानी को गैरसैंण स्थानांतरित करना ही एकमात्र समाधान है।
उन्होंने भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा से भी आग्रह किया कि एक राज्य आन्दोलनकारी होने के नाते वे विधानसभा में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएं। पनेरू ने कहा कि यदि रजत जयंती के अवसर पर यह ऐतिहासिक निर्णय नहीं लिया गया तो राज्य आन्दोलन की भावना और उद्देश्य दोनों ही अधूरे रह जाएंगे।
पनेरू ने कहा,“देहरादून में सत्र आयोजित कर पहाड़ों का भला नहीं हो सकता। गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाना ही राज्य आन्दोलन की सच्ची भावना और पहाड़ के अस्तित्व की रक्षा का मार्ग है।”
