23 सालों से जुड़ी हुई हैं, 250 लोगों को कर चुकी हैं प्रशिक्षित
कुमाऊं जनसन्देश डेस्क
हल्द्वानी। कुमाऊं की प्राचीन ऐपण कला वर्तमान में तमाम लोगों के स्वरोजगार का जरिया बनी हुई है। कई लोग ऐपण डिजाइन बनाकर तो कुछ लोग ऐपण से जुड़े उत्पाद बेचकर भी अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं। रुचि नैनवाल का नाम भी ऐपण कला से आकर्षक डिजाइन बनाने वालों में शामिल है। रुचि हर तरह के ऐपण डिजाइन बनाकर अच्छी कमाई कर रही हैं। साथ ही वे करीब 250 से अधिक महिलाओं व युवतियों को ऐपण कला के गुर सिखाकर आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर चुकी हैं।
250 महिलाओं व युवतियां को सिखा चुकी ऐपण कला के गुर
सभी को सरकारी नौकरी मिले ये संभव नहीं और वर्तमान में स्वरोजगार रोजगार प्राप्ति का अच्छा साधन बन चुका है। चैफुला, दमुवाढूंगा, हल्द्वानी की रहने वाली रुचि नैनवाल बताती हैं कि वे विगत 23 सालों से ऐपण कला से जुड़ी हुई हैं। वे ऐपण कला सिखाने का श्रेय महान गायिका शुभा मुदगल की माता जया गुप्ता को देती हैं। 13 साल की उम्र में ऐपण कला की बारीकियां सीखने वाली रुचि नैनवाल 250 से अधिक महिलाओं और युवतियों को ऐपण कला में पारंगत कर चुकी हैं। वे ऐपण कला के विभिन्न उत्पाद बनाकर अच्छी कमाई तो कर ही रही हैं। साथ ही अच्छा खासा नाम भी कमा चुकी हैं। पिछले साल जिला उद्योग केन्द्र की ओर से आयोजित ऐपण प्रशिक्षण में उन्हें बतौर मास्टर ट्रेनर की जिम्मेदारी भी दी गई थी जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।
ऐपण ही रुचि का आजीविका का बन चुका है माध्यम
उन्होंने बताया कि उद्योग निदेशालय देहरादून से भी उन्हें ऐपण और जूट बैग बनाने के काफी आर्डर मिलते रहते हैं जिसे वे गुणवत्ता के साथ समय पर पूरा कर देती हैं। वर्तमान में ऐपण कला को ही आजीविका का माध्यम बना चुकी रुचि नैनवाल देहरादून व दिल्ली ट्रेड फेयर में भी अपने ऐपण उत्पाद बेच चुकी हैं। लोग भी उनके ऐपण उत्पादों की काफी सराहना करते हैं। उद्योग विभाग की ओर से भी इनके काम को देखते हुए शिल्पी कार्ड उपलब्ध कराया जा चुका है। शिल्पी कार्ड की बदौलत ये सरकार या विभाग की ओर से लगने वाले हाट बाजार या ट्रेड फेयर में अपना स्टाल लगाकर हस्तनिर्मित उत्पाद बेच सकती हैं।
इस तरह रुचि नैनवाल भरी आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने में अपना योगदान दे रही हैं।