मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कोटाबाग की घोड़ा लाइब्रेरी का किया जिक्र
हल्द्वानी। शिक्षा ही समाज को सही दिशा देती है और जीवन में उजियारा लाती है। किताबी ज्ञान के साथ ही साहित्य, सामान्य ज्ञान और नैतिक शिक्षा का पाठ इंसान को नई ऊँचाइयों में ले जाता है। नैनीताल जनपद के कोटाबाग ब्लाक के कुछ युवा भी बाल मन में नैतिक शिक्षा का बीज बोने के लिए घोड़ा लाइब्रेरी का संचालन कर अनूठी पहल कर रहे हैं। हर चार-पाँच दिन में घोड़ा लाइब्रेरी कोटाबाग के दूरस्थ सुविधा विहीन गाँवों में पहुँचती है और बच्चों को उपलब्ध कराती है।
बीते दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोटाबाग में हिमोत्थान टाटा ट्रस्ट की ओर से चलाई जा रही घोड़ा लाइब्र्रेरी का जिक्र किया तो पूरे देशभर में कोटाबाग का इस घोड़ा लाइब्रेरी का जिक्र हो रहा है। हर तहफ घोड़ा लाइब्रेरी ही छायी हुई है।
हिमोत्थान टाटा ट्रस्ट से जुड़े शुभम बधानी के अनुसार, गांवों में घोड़ा लाइब्रेरी के माध्यम से पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही हैं। मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की ओर से इसका जिक्र होने से पूरी टीम का मनोवल बढ़ा है। संस्था की ओर से पहाड़ी गांव बघनी, छड़ा, सलवा, जालना के युवाओं और स्थानीय शिक्षा प्रेरकों की मदद से घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की गई है।
बताया कि कोटाबाग ब्लॉक के कई गांवों में सड़क नहीं है। कुछ पगडंडी वाले रास्ते हैं, वे भी भूस्खलन की मार झेल रहे हैं। ऐसे गांवों में घोड़ा लाइब्रेरी के जरिए बच्चों को बाल साहित्य पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसकी खासियत यह है कि इसकी पहुंच 12 से अधिक दुर्गम गांवों में है। करीब साढ़े तीन महीने से संचालित इस लाइब्रेरी के जरिये अब तक तीन सौ बच्चों को निशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराई जा चुकी हैं। हिमोत्थान टाटा ट्रस्ट की इस पहल में सुभाष बधानी, हरीश वधानी, मनोज बधानी, रवि रावत, शरद बधानी, कौशल कुमार, चंदू सनवाल, कविता रावत, ज्योति अधिकारी आदि का विशेष योगदान है।
बता दें कि बीते दिन मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश में शिक्षा को सेवा के रूप में देखा जाता है। मुझे उत्तराखंड के कुछ युवाओं के बारे में पता चला है जो ऐसी भावना के साथ काम कर रहे हैं। नैनीताल जिले में कुछ युवाओं ने बच्चों के लिए अनोखी घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि दुर्गम इलाकों में भी इसके जरिये बच्चों तक पुस्तकें पहुंच रही हैं। यह सेवा निशुल्क है।