सरना-गुनियालेख के जंगल में खिले बुरांश के फूल

बुरांश के फूल से जंगल गुलजार, जूस बनाने वालों के चेहरे में आई बहार, दिल और डायबिटीज की बीमारी में भी कारगर है बुरांश का जूस

उत्तराखण्ड ताजा खबर नैनीताल

हल्द्वानी। कुमाऊं के जंगल इन दिनों राजकीय वृक्ष बुरांश के फूल से गुलजार हो चुके हैं। आमतौर पर मार्च-अप्रैल में खिलने वाले ये फूल दो महीने पहले ही खिल गए हैं। इसे मौसम परिवर्तन से जोरकर देखा जा रहा है। वहीं बुरांश का जूस दिल और डायबिटीज की बीमारी में बेहद कारगर है। ऐसे में जूस बनाने वालों के चेहरे में ताजगी है। वे फूल जुटाने के लिए जंगलों में जमे हुए हैं।
अगर आपको कोई दिल की बीमारी है, डायबिटीज है या फिर आप कैंसर से ग्रस्त हैं तो ये फूल आपको इन सब बीमारियों से महफूज रखेगा। यही नहीं ये लिवर के लिए भी बेहद गुणकारी है। वैज्ञानिकों ने इस फूल के कई फायदे गिनाए हैं। ये फूल इन दिनों उत्तराखंड के जंगलों में देखे जा सकते हैं। इस फूल का पेड़ उत्तराखंड का राजकीय वृक्ष भी है। यह फूल समुद्रतल से 1500 से 3000 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। बुरांस का जूस एक बहुत ही अच्छा एंटीऑक्सीडेंट है जो आपको त्वचा की बीमारियों से बचाता है। मेडिकल साइंस में यह साबित हो चुका है कि बुरांश के फूलों में मीथेनॉल होता है जो डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। बुरांस बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन को कंट्रोल करता है। साथ ही हाइपरटेंशन और डायरिया में भी आराम पहुंचाता है। बुरांश में विटामिन एए बी.1ए बी.2ए सीए ई व के मौजूद होने के कारण यह शरीर का वजन नहीं बढऩे देता और कोलेस्ट्रॉल से भी बचाता है। बुरांश के फूलों से जैम, जूस और चटनी बनती है। गर्मियों में बुरांश के फूलों का जूस स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। बुरांश में विटामिन सी होता है। विटामिन सी सर्दी, जुकाम के अलावा त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है। इसके अलावा विटामिन सी तनाव को कम करने, घावों को भरने में मदद करता है। इसके पेड़ की ऊंचाई आठ से दस मीटर तक होती है। इसकी पत्तियां सख्त चौड़ी और नुकीली होती हैं। यह हिमाचल का राज्य स्तरीय फूल है। मार्च अप्रैल के महीनों में ये फूल जंगल में खिलने लगता है। लेकिन इन दिनों जंगल बुरांश के फूल से गुलजार हो चुके हैं।

पर्यावरणविद भी पड़े हैरत में
हल्द्वानी। अमूमन मार्च-अपै्रल में खिलने वाले बुरांश के जनवरी से ही खिल जाने पर पर्यावरणविद भी हैरान हैं।
दरअसल उत्तराखंड में भारी मात्रा में ऊंचाई वाले इलाके पर बुरांश के फूल की पैदावार होती है। इस फूल के पेड़ को उत्तराखंड में राजकीय वृक्ष का दर्जा भी दिया गया है। अमूमन यह फूल मार्च और अप्रैल महीने में अपने आकार में आता है लेकिन इस बार हिमालय में मौसम में ऐसा परिवर्तन आया कि जनवरी महीने में ही यह फूल खिल उठे हैं। पर्यावरणविद् मान रहे हैं कि यह सब ग्लोबल वार्मिंग का असर है। इतना ही नहीं पर्यावरणविद् और उद्यान विभाग का कहना है कि ऊपरी हिमालय में लगातार मौसम में परिवर्तन आ रहा है जिसके बाद यह सभी घटनाएं एक साथ घट रही हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार उत्तराखंड में बर्फबारी में बेहद कमी आई है जिस वजह से फूल समय से न केवल पहले खिल उठे हैं बल्कि उनके औषधीय गुण में भी फर्क आएगा। साथ ही स्थानीय लोगों का मानना है कि जिस फूल की बदौलत वह मार्च और अप्रैल महीने में अच्छा खासा उत्पादन बुरांश के जूस का कर लेते थे उसमें भी भारी कमी आएगी। आपको बता दें कि उत्तराखंड में एक बड़ा तबका बुरांश के फूल का उत्पादन करके उनके जूस को निकाल कर बाजार में बेचता है।

सरना-गुनियालेख के जंगल में खिले बुरांश के फूल
सरना-गुनियालेख के जंगल में खिले बुरांश के फूल

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