माँ शैलपुत्री

आज से शारदीय नवरात्र प्रारम्भ, इस बार हाथी पर सवार होकर आएगी माँ, ऐसे करें पूजन

उत्तराखण्ड ताजा खबर नैनीताल संस्कृति समाज

मंदिरों और घरों में की गई हैं विशेष तैयारियां, दोपहर में है शुभ मुहूर्त
हल्द्वानी। रविवार से शारदीय नवरात्र प्रारम्भ हो गए हैं। इस अवसर पर मंदिरों और घरों में विशेष तैयारियां की गई हैं। शहर और घरों के मंदिरों को सजाया और संवारा जा चुका है। पहले दिन माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप माँ शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। मान्यता है कि शारदीय नवरात्र यदि रविवार या सोमवार से शुरू होते हैं तो माँ हाथी पर सवार होकर आती है।

ज्योतिषाचार्यो के अनुसार, माता पार्वती को शैलपुत्री कहा जाता है, क्योंकि उनके पिता पर्वतराज हिमालय हैं। गौरवर्ण वाली मां शैलपुत्री की सवारी बैल है। वे एक हाथ में त्रिशूल तो दूसरे में कमल का फूल धारण करती हैं। चंद्रमा उनके मस्तक की शोभा बढ़ाता है।
नौ दिनों तक मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा की धूम रहेगी। रविवार को कलश स्थापना के लिए दोपहर 11ः44 से दोपहर 12ः30 बजे तक 46 मिनट तक मुहूर्त रहेगा। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार, शारदीय नवरात्र के नौ दिनों तक मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

कलश स्थापना की विधि

मान्यता के अनुसार, मंदिर में सफाई के बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में चारों ओर आम या अशोक के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक चिह्न बनाएं। फिर इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें। एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा बांधें और इसे कलश के ऊपर पर रखते हुए मां जगदंबे का आह्वान करें। इसके बाद दीप जलाकर कलश की पूजा करें।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *