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पहाड़ लौट रहे युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ेगा अल्मोड़ा जिला प्रशासन, इस तरह बन रही रणनीति

अल्मोड़ा उत्तराखण्ड ताजा खबर

आजीविका परियोजना के जरिए कुटीर उद्योगों को बनाया जाएगा आय का साधन
कुमाऊं जनसन्देश डेस्क
अल्मोड़ा। लाकडाउन के चलते महानगरों से पहाड़ लौट रहे युवाओं को स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार से जोड़ने के लिए अल्मोड़ा जिला प्रशासन ने प्रयास शुरू कर दिये हैं। प्रशासन की मंशा गांवों मेें कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने व आजीविका मिशन के तहत संचालित उद्यमों में बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाने की है। ताकि गांव में ही युवाओं को आय का साधन मिल सके और वे फिर शहर जाने को मजबूर न हो पाएं। फिलहाल गांव लौटे युवाओं की सूची तैयार करने के साथ ही उनके कार्य कौशल का पता लगाने की रणनीति तैयार की जा रही है। जिला प्रशासन बेरोजगार युवाओं को बेकरी इकाई, तेल पिराई, मसाला प्रसंस्करण इकाई, दुग्ध उत्पादन एवं संग्रहण, धान कुटाई एवं गेहूं पिसाई, सब्जी उत्पादन, साप्ताहिक हाट, मोबाइल वैन आदि स्थानीय स्तर के उद्यमों से जोड़ने का मन बना रही है।
जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने बताया कि जनपद के विभिन्न विकास खण्डों से अनेक लोगों द्वारा अपने परिवार के भरण पोषण व रोजगार की तलाश में महानगरों में पलायन किया गया था। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण भारी संख्या में महानगरों से रोजगार के लिए पलायन कर चुके प्रवासियों के रोजगार के अवसर खत्म होने से उनके सामने अत्यधिक बड़ी चुनौती खड़ी हो चुकी है। इस चुनौती से निपटने के लिए बेरोजगार हो चुके प्रवासी अपने मूल निवास को वापस लौट रहे हैं।
उन्हांेने बताया कि हजारों की संख्या में ग्रामों में लोगों के लौटने के कारण उनके रोजगार एवं अन्य आजीविका के साधनों पर समय रहते कुछ रणनीति तैयार की जा रही है।
जिलाधिकारी ने बताया कि इसके लिए मुख्य विकास अधिकारी मनुज गोयल के दिशा-निर्देशन में एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना, अल्मोड़ा की जिला इकाई के परियोजना प्रबन्धक कैलाश चन्द्र भट्ट द्वारा सहकारिताओं के प्रगतिशील सदस्यों के साथ रणनीति तैयार की जा रही है, जिसमें परियोजनान्तर्गत सात इनोवेशन लिंकेज परियोजना एवं विभिन्न स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्यमों जैसे एग्रो प्रोसेसिंग एवं बेकरी इकाई, तेल पिराई, मसाला प्रसंस्करण इकाई, दुग्ध उत्पादन एवं संग्रहण, धान कुटाई एवं गेहूं पिसाई, सब्जी उत्पादन, साप्ताहिक हाट, मोबाइल वैन, ग्रामीण उद्यम की स्थापना की गयी है।
जिलाधिकारी ने बताया कि आजीविका परियोजनान्तर्गत संचालित इन गतिविधियों में रिवर्स माइग्रेशन के कारण आने वाले व्यक्तियों को इनके माध्यम से स्वरोजगार दिलवाने के लिए आजीविका संघों के साथ मिलकर रणनीति तैयार की जा रही है। प्रत्येक विकास खण्ड के आजीविका संघों के अन्तर्गत रिवर्स माइग्रेशन के कारण ग्राम में लौटे लोगों की सूची तैयार कर उनके कौशल क्षेत्र का पता लगाया जा रहा है जिससे कि उनके कौशल का उपयोग आजीविका संघों के व्यवसायिक एवं अन्य गतिविधियों में करते हुए उन्हें लाभांवित किया जा सके। इस कार्य से जहंा एक ओर अचानक ग्राम में आये एवं बेरोजगार हो चुके लोगांें को कुछ रोजगार प्राप्त होगा वहीं दूसरी ओर बेरोजगार से होने वाले सामाजिक कुप्रभावों से भी बचा जा सकेगा।

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