विनोद पनेरू
रुद्रपुर। अपने बैंक खाते को नोटांें की गडिडयों से सींचने के बाद भी अफसरों की संवेदना नहीं जागी। जिन पौधों को लगाने, सिंचाई व देखभाल के नाम पर करीब 15 लाख से अधिक का बजट खपा दिया गया हो वे पौधे आज सिंचाई व देखरेख के अभाव मेें सूखने की कगार पर पहुंचे गए हैं। जानकर और भी ताज्जुब होगा कि हर माह सिंचाई के नाम पर ही डेढ़ लाख से अधिक का बजट ठिकाने लगा दिया जाता है। मगर आज अधिकांश पौधे पीले पड़कर मुरझाने लगे हैं। मगर अफसरों की बला से। हालांकि पर्यावरण प्रेमी और इन पौधों को बचाने के लिए छह साल से संघर्ष कर रहे हल्द्वानी निवासी पर्यावरण प्रेमी व रुद्रपुर में तैनात आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. आशुतोष पंत के अनुरोध पर उधमसिंहनगर के जिलाधिकारी डा. नीरज खैरवाल ने एडीएम को जांच के आदेश दे दिये हैं।
शहर के मुख्य मार्ग में बने डिवाइडर में पौधे लगाने का मकसद शायद सिर्फ अफसरों का अपने बैंक खाते को नोटों से सींचना था। तभी तो लाखों का बजट खपाने के बाद भी तराई की झुलसती गर्मी में पौधों को मरने के लिए छोड़़ दिया गया है। इन दिनों ये पौधे सिंचाई व देखरेख के अभाव में मुरझाने के कगार पर पहुंच गए हैं। आपको बता दें कि रुद्रपुर शहर में हल्द्वानी- दिल्ली मार्ग पर सिडकुल मोड़ से इंदिरा चैक से आगे तक हरियाली बढ़ाने के मकसद से डिवाइडर में पौधे लगाए गए। डा. आशुतोष पंत को उपलब्ध सूचना अधिकार के तहत डिवाइडर बनाने मेें 32 लाख, मिटटी भरान में डेढ़ लाख, करीब 15350 पौधे लगाने में करीब साढे़ आठ लाख खर्च किये गए। जबकि हर माह करीब डेढ़ लाख सिंचाई के नाम पर खर्च दिखाया गया। अब शायद हर माह का खर्च और बढ़ा दिया गया। एक पौधे का खर्च ही 55 रुपये बताया गया है। इतना खर्च होने के बाद भी अगर आप रुद्रपुर शहर जाएं तो देखेंगे की डिवाइडर किनारे लगे अधिकांश पौधे सूखने की कगार पर हैं और मुरझा कर पीले पड़ चुके हैं।
मेरा तो नहीं आया इतना खर्च
पर्यावरण प्रेमी डा. पंत कहते हैं कि वे भी हर साल करीब दस हजार पौधे निशुल्क बांटते हैं मगर उनका औसत खर्च तीन लाख के करीब आता है। मगर यहां 15 हजार पौधे के नाम पर करीब साढे आठ लाख खपा दिये गए। जो बेहद हैरान करने वाला है।
डीएम खैरवाल ने दिये जांच के आदेश
डा. पंत के अनुसार रोज सूख रहे पौधे को देखकर उनके मन में बड़ी पीड़ा हो रही थी। इसी को लेकर डीएम डा. नीरज खैरवाल से भेंटकर गुजारिश की। बताया कि अब डीएम ने तत्परता दिखाते हुए एडीएम को जांच के आदेश जारी कर दिये हैं। देखने वाली बात यह है कि आगे अफसर पौधों को बचाने के लिए कितनी संवेदनशीलता से काम करते हैं।
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