दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड के किसान

जहर की थाली छोड़़ो, जैविक खेती से नाता जोड़ो जैविक खेती के लिए नरेंद्र, अनिल व प्रेम की दिल्ली तक दौड़

उत्तराखण्ड ताजा खबर नैनीताल

हल्द्वानी। अधिक उपज लेने की चाह में किसान जाने अनजाने में रसायनिक खादों का अत्यधिक इस्तेमाल कर समय से पहले उपज लेने में कामयाब तो हो रहे हैं मगर फसल में रसायनिक खादों का अत्यधिक प्रयोग होने से भोजन की खाली जहरीली होती जा रही है। रसायनोें से जहां भूमि की उपजाऊ शक्ति कम होती जा रही है। वहीं लोग भी भोजन के रूप में अधिक रसायनों के शरीर में प्रवेश कर जाने से कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे मेें जैविक खेती ही जमीन की उपजाऊ शक्ति बरकरार और इंसानी स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में कारगर है।

उत्तराखंड को जैविक प्रदेश बनाने में कुछ प्रगतिशील किसान जीजान से जुट गए हैं। बीते दिनों दिल्ली में हुए किसानों के एक राष्ट्रीय कार्यक्रम में गौलापार, हल्द्वानी के प्रगतिशील किसान नरेंद्र सिंह मेहरा, गौरापड़ाव, हल्द्वानी के जैविक खेती के मास्टर ट्रेनर व किसान अनिल पांडे और अल्मोड़ा की महिला किसान प्रेम रौतेला ने शिरकत कर उत्तराखंड को जैविक प्रदेश घोषित कराने की मांग जोरदार तरीके से उठाई। कार्यक्रम से लौटे प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा ने बताया कि केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उन्हें जैविक खेती के सम्बंध में विस्तार से वार्ता के लिए अगले महीने दिल्ली बुलाया है।

जैविक खाद से तैयार हो रही फसल दिखाते किसान अनिल पांडे
जैविक खाद से तैयार हो रही फसल दिखाते किसान अनिल पांडे

मेहरा ने बताया कि किसान समय से पहले व अधिक उत्पादन लेने के चक्कर में रसायनिक खादों का अधिक प्रयोग तो कर रहे हैं लेकिन भोजन के रूप में रसायनों का यह जहर सभी के शरीर में पहुंच रहा हैै एक तरफ खादों के अधिक इस्तेमाल से भूमि की उर्वरा शक्ति घट रही तो वहीं इंसान कई बीमारियों की चपेट में आ रहा है। ऐसे में जैविक खेती को बढावा देना ही उनका मकसद है।
जैविक खेती के मास्टर ट्रेनर व किसान अनिल पांडे ने बताया कि जैविक खेती बहुत ही फायदेमंद है और एक पक्की संरचना बनाकर घर में ही जैविक खाद तैयार की जा सकती है। बताया कि जैविक खेती व खाद के प्रचार व किसानों को जागरूक करने क लिए वे लगातार प्रयास कर रहे हैं। बताया कि जैविक खाद दो तरह की होती है, पहली केंचुआ खाद। इसे गोबर में केंचुए छोड़ देने से जैविक खाद तैयार की जाती है। यह खाद जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ा देती है। दूसरा होती है जीवाणु खाद। इसमें डिकम्पोजर को गुड़ के दो किलो मिश्रण व दो सौ लीटर पानी में मिलाकर एक सप्ताह तक रख देते हैं। इस तरह जीवाणु खाद तैयार हो जाती है। कहा कि यह लगभग निशुल्क तैयार होने के साथ ही अधिक उत्पादन दिलाने में कारगर तो है ही, साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है और इंसानी स्वास्थ्य क लिए भी फायदेमंद है। कहा कि वे किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने में जुटे हुए हैं। अच्छे परिणामों की भी उम्मीद है।
इधर प्रगतिशील किसान मेहरा ने बताया कि दिल्ली में भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन में किसानों की आयु दुगुनी करने, किसानों को सम्मानजनक स्थान दिलाने, ग्लोबल वार्मिंग, विपणन, समूह गठन, सिंचाई व उन्नत बीज आदि के बारे में भी चर्चा की गई। कहा कि कार्यक्रम बेहद यादगार रहा।

Follow us on WhatsApp Channel

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *