नैनीताल। देश दुनिया में अलग पहचान बना चुकी नैनी झील का अस्तित्व खतरे में है। नैनी झील से हर रोज सवा इंज जल स्तर कम होता जा रहा है। हालात यही रहे तो झील पर संकट के बादल मंडराने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। इसी स्तर से पानी कम होता रहा तो फरवरी तक जल स्तर शून्य स्तर पर आने की संभाावना जताई जा रही है।
हालांकि नैनीताल जिला प्रशासन जीजान से झील का जल स्तर सुधारने व इसके संरक्षण में जुट गया है। मगर इसके लिए लोगों को भी अब आगे आना ही होगा।
सिंचाई विभाग के अनुसार विगत तीन माह में झील का जल स्तर लगभग छह फिट कम हुआ है। इसको लेकर जिलाधिकारी दीपेन्द्र कुमार चौधरी ने सिंचाई विभाग, जलसंस्थान, जलनिगम, नगरपालिका, लोक निर्माण के साथ बैठक कर जल संरक्षण संवर्द्धन के लिए विचार विमर्श किया व आवश्यक दिशा निर्देश दिये।
बैठक में अधिशासी अभियंता सिंचाई हरीश चन्द्र सिंह ने बताया कि झील का जलस्तर प्रतिदिन सवा इंच (1.25 इंच) जलस्तर गिर रहा है। शीतकालीन वर्षा एवं बर्फबारी नहीं हुई तो झील का जलस्तर फरवरी माह में शून्य स्तर पर पहुंच जायेगा जिससे झील में टीलें दिखने प्रारम्भ हो जायेंगे। अधिशासी अभियंता जलसंस्थान सुनील तिवारी ने बताया कि 2016 से पूर्व नैनीझील से नैनीताल शहर को प्रतिदिन 16 से 20 घंटे पानी दिया जाता था जो लगभग 16 एमएलडी था, लेकिन वर्ष 2015-16 में वर्षा, बर्फबारी, शीतकालीन वर्षा में कमी आयी व झील का स्वभाव ही बदल गया। उन्होंने बताया कि 2017की गर्मी में झील का जलस्तर लगभग 19 फिट ऋणात्मक चला गया जो गम्भीर विषय है।
जिलाधिकारी चौधरी ने कहा कि नैनीझील जीवन दायिनी है, झील से ही नैनीताल शहर का अस्तित्व है, इसके संरक्षण एवं संवर्द्धन कार्य आज से ही किये जाने की आवश्यकता है। नैनीझील के प्रतिदिन सवा इंच पानी कम होने को गम्भीरता से लेते हुये बैठक में निर्णय लिया गया कि शहर की जलापूर्ति की रोस्टिंग करके 6 से 8 घंटे प्रतिदिन कर दिया जाय। जिलाधिकारी ने नैनीताल शहर के होटल मालिकों, स्थानीय जनता व पर्यटकों से अपील की है कि वे पानी का किफायत से उपयोग करें व पेयजल से बागवानी आदि कतई न करें, बागवानी आदि के लिए रैन वाटर हार्वेस्टिंग करें।
बैठक में अधिशासी अभियंता पेयजल निगम रकमपाल सिंह,सहा0अभियंता जलसंस्थान डीएस बिष्ट, लोक निर्माण एससी पंत आदि मौजूद थे।