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कहूं या न कहूं, चलो अब कह ही देता हूं, बाकी आप पर छोड़ता हूं….

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कहूं या न कहूं, चलो अब कह ही देता हूं, बाकी आप पर छोड़ता हूं....

तेजपाल नेगी

हल्द्वानी | दो मिनट हमारे लिए भी निकाल कर अवश्य पढ़ें,

प्रणाम मित्रों

कई दिनों से अपने आप से विचार कर रहा था यह बात आपके समक्ष रखूं या नहीं। अंततः आज सुबह दस बजे  (14 अप्रैल 2020) प्रधानमंत्री जी का देश के नाम संबोधन सुनने के बाद लगा कि आप लोगों से कुछ वस्तु स्थिति शेयर करना आवश्यक हो गया  है। बड़े बुजुर्गों ने कहा भी है कि स्थिति बिगड़ने  के बाद रोने से कुछ नहीं होता समय पर बीमारी को ठीक किया जाए तब ही  कुछ हो सकता है।

आप में से बहुत से मित्र मुझे व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। इसलिए मैं  कौन हूं कैसा हूं यह बात आप पर ही छोड़ता हूं। यह कहानी जो मैं आपको सुनाने का प्रयास कर रहा हूं यह मेरी ही नहीं मेरे जैसे न जाने कितने ऐसे पत्रकारों की है जो आज के युग में भी पत्रकारिता को मिशन के रूप में पूरी खुद्दारी के साथ अपने स्तर पर चलाने का प्रयास कर रहे हैं। समाचार माध्यमों में उम्र का काफी बड़ा हिस्सा बिता देने के बाद अब हमसे यह उम्मीद करना बेकार है कि हम किसी दूसरी फील्ड में अपने आपको साबित कर सकेंगे। हां हमसे समाचार माध्यमों में ही सहयोग लिया जा सकता है। सो मेरे जैसे न जाने कितने पत्रकारों ने तमाम चुनौतियों के बावजूद समाचार माध्यम की नई विधा यानी डिजिटल मीडिया वेबसाइट जर्नलिज्म को अपना कर नया कदम उठाया। जैसा कि आप जानते ही हैं कि नया क्षेत्र होने के बावजूद आप जैसे बुद्धिजीवियों ने हमारी नई विधा को स्वीकार भी किया और सबकुछ ठीक ही चलने लगा। बहुत कमा नहीं पा रहे थे तो कार्यालय में काम करने वाले सहयोगियों और कार्यालय के खर्चे निकल जाने पर भी संतोषजनक महसूस हो रहा था।

कोरोना वायरस के देश में आगमन के पश्चात पूरे देश में लॉक डाउन के कारण सभी प्रकार के काम धंधे चैपट होने लगे। बाजार बंद थे संस्थान प्रतिष्ठान सब बंद हैं ऐसे में नये विज्ञापन मिलने बंद हो गए। जो पुराने विज्ञापनों का शुल्क आना था उनका काम धंधा बंद होने के कारण वह भी अटक गया। सरकार ने जो विज्ञापन दिया वह भी अभी तक नहीं आया। सीएम के समाधान पोर्टल पर भी यह व्यथा पोस्ट किए काफी समय हो गया। कहीं से उम्मीद की किरण नहीं दिख रही। इस बीच सरकार ने आदेश जारी कर दिया कि मीडिया से जुड़े लोग यदि कोरोना वायरस की चपेट में आते हैं तो उन्हें सरकारी खर्चे पर इलाज मिलेगा, निधन हो जाने पर दस लाख की सम्मान राशि भी। लेकिन समस्या यह है कि इसके लिए हमें एक बार मरना ही होगा। वह भी यह आदेश सिर्फ अधिकृत पत्रकारों के लिए है। वे कौन से हैं सरकार ने नहीं बताया। साफ बात है सरकार पूरी उम्र इसी माध्यम में काटने के बाद भी हमें पत्रकार नहीं मानती है।

लाक डाउन लगातार बढ़ रहा है कौन जाने मई महीने में भी परिस्थितियां बदलती हैं या नहीं। मान भी लेते हैं कि मई माह में कोरोना हमसे हार जाएगा लॉक डाउन खुलेगा और सबकुछ पहले जैसा होने लगेगा। लेकिन सब कुछ पहले जैसा होने में कितना समय लगेगा किसी को नहीं पता। इस बीच महीनों कार्यालयी के खर्चे, परिवारों के खर्चे कैसे निपटेंगे पता नहीं। मकान मालिक कब तक मुफ्त में हम लोगों को रख सकेंगे पता  नहीं है। सरकार ने कहा तो है कि इस दौरान मकान मालिक किराया न मांगे लेकिन लॉक डाउन खुलने के बाद दोकृया तीन महीने का किराया तो देना ही होगा।

हर रोज दर्जनों समाजसेवी मित्र फोन करके लोगों को दी जाने वाली मदद के बारे में खबर देते हैं। हमारी राय भी मांगते हैं हम उन्हें मजबूर लोगों की मदद करने के लिए मौखिक और खबरें प्रसारित करवा कर प्रेरित भी करते हैं लेकिन उन्हें अपने बारे में क्या और कैसे कहें हम समझ ही नहीं पाते। मेरे जैसे कई अन्य मित्रों की पीड़ा भी यही होगी यह मेरा दावा है। दरअसल हम लोग पत्रकारिता के उस  आभा मंडल में कैद हैं जिससे बाहर निकल कर आम आदमी की तरह पीड़ा व्यक्त करना हमें हमारे गुरुओं ने सिखाया ही नहीं।

स्थिति यही रही तो उन सहयोगियों को भी साथ लेने से हिचक होने लगेगी जिनके परिवार का खर्चा भी हमारी वजह से निकलता था। तकनीकी माध्यम होने के कारण हर रोज कोई न कोई खर्चा आ ही जाता है। ऐसे में आमदनी अठन्नी भी नहीं होगी तो आगे क्या होगा।

लिखते जाएंगे तो काफी लंबा मामला हो जाएगा। अब बाकी की कहानी आप सब पर छोड़ता हूं। आपसे आग्रह है कि आप हम जैसे लोगों के प्रयास को सराहते हैं, मन के किसी कोने में मीडिया के इस वर्ग के प्रति थोड़ा सा भी सम्मान रखते हैं तो इस निखालिस संक्रमण काल में हम जैसे लोगों के लिए भी मदद का हाथ बढ़ाएं। आपके छोटेकृछोटे प्रयास हम जैसे कम खर्चे वाले अति लघु मीडिया संस्थानों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं।

विपरीत परिस्थितियों में भी आपका और हमारा मनोबल बढ़ा रहे इसी कामना के साथ।

आपका

तेजपाल नेगी

7895783639

नोट लेखक मूल रूप से पत्रकार हैं। वर्तमान में हल्द्वानी में रहकर ही एक न्यूज पोर्टल क्रिएटिव न्यूज एक्सप्रेस (सीएनई) का संचालन करते हैं। 

 

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