टेंट कैटरपिलर का प्रकोप बढ़ा तो सेब उत्पादन हो सकता है प्रभावित
कुमाऊं जनसन्देश डेस्क
हल्द्वानी। बागवान सेब के पेड़ों को अच्छे से देखकर यह पता कर लें की कहीं पेड़ों में किसी कीड़े ने जाल तो नहीं बना लिया है। अगर ऐसा हो रहा है तो सेब के पेड़ों में टेंट कैटरपिलर का खतरा मंडरा रहा है। इसका समय पर उपचार नहीं किया गया तो यह सेब के उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। नैनीताल जिले में कई स्थानों से सेब के पेड़ों में किसी कीड़े के जाला लगाकर पत्तियों को नुकसान पहुंचने की शिकायतें आ रही हैं। उद्यानपतियों ने इसके समाधान की मांग जिला उद्यान अधिकारी भावना जोशी से भी की है। जिले में करीब 1230 हेक्टयेर में सेब का उत्पादन होता है।
इधर जानकारी मिलने पर कृषि विज्ञान केंद्र, ज्योलीकोट के प्रभारी अधिकारी व हार्टिकल्चर के प्रोफेसर डा. विजय कुमार दोहरे ने किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है। डा. दोहरे के अनुसार सेब के पेड़ों में जो घना जाला दिखाई दे रहा है, वह टेंट कैटरपिलर नामक रोग की वजह से हो रहा है। इस रोग की दशा में सेब के पेड़ों में टेंट कैटरपिलर नामक कीड़ा टहनियों पर घना जाला बना लेते हैं और पत्तियों को खा जाते हैं। पत्तियों के नष्ट हो जाने से सेब के उत्पादन में प्रतिकूल असर पड़ता है।
बताया कि टेंट कैटरपिलर एक साथ सैकड़ों की संख्या में होते हैं। जिन बगीचों में फूल आ गए हैं उनमें टेंट कैटरपिलर के प्रभावी नियंत्रण के लिए क्लोरीपायरीफास एक मिली लीटर दवा को एक लीटर पानी में मिलाकर टेंट कैटरपिलर द्वारा बनाए गए जाले में एक कूंची द्वारा हिलाकर उसमें घोल लगा देते हैं। इस घोल के लगते ही टेंट कैटरपिलर मर जाता है और सेब का उत्पादन प्रभावित होने से बच जाता है।
बताया कि जिन पेड़ोें में फूल आ गए हैं उनमें दवा का छिड़काव इसलिए नहीं करवाते हैं ताकि पानीलेशन के लिए उपयोगी कीट मधुमक्खी आदि न मरें और पालीनेशन प्रभावित न हो।