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पिरुल के अब तीन नहीं 50 रूपये प्रति किलो देगी सरकार, प्रस्ताव तैयार

उत्तराखण्ड ताजा खबर देहरादून नैनीताल
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देहरादून। ग्रामीणों को पिरुल इकट्ठा करने के अब तीन नहीं 50 रूपये प्रति किलो मिलने की उम्मीद है। सरकार ने ग्रामीणों की आजीविका बढ़ाने के लिए इस सम्बन्ध में प्रस्ताव तैयार कर लिया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के बाद 50 रुपये प्रति किग्रा की दर से पिरुल खरीदने का प्रस्ताव तैयार हो गया है। प्रस्ताव पर सरकार की मुहर लगने के बाद स्थानीय लोग पिरूल से प्रति दिन 2500 से 3000 रुपये की कमाई कर सकते हैं। प्रमुख सचिव वन ने वन विभाग से प्रस्ताव मांगा था। प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन ने शासन को प्रस्ताव भेजने की पुष्टि की है।

 

प्रदेश के 10 जिलों में 15.25 फीसदी वन क्षेत्र चीड़ बाहुल्य है। सरकार दाम बढ़ाकर लोगों को ज्यादा से ज्यादा पिरुल उठाने के लिए प्रेरित करना चाहती है ताकि चीड़ वनों में आग लगने की घटनाओं पर काबू पाया जा सके। राज्य में हर साल सैकड़ों हेक्टेयर वन क्षेत्र आग की चपेट में आ जाता है। इससे वन संपदा को ही नहीं रिहायशी इलाकों में जनहानि का खतरा बना रहता है। इस वर्ष ग्रीष्म ऋतु में वनाग्नि की कई बड़ी घटनाएं हुईं। वनाग्नि भड़काने में ज्वलनशील पिरुल की बड़ी भूमिका है।

 

अभी तीन रुपये प्रति किग्रा है पिरुल की कीमत

 

वन विभाग अभी तीन रुपये प्रति किग्रा की दर से पिरुल की खरीद करता है। योजना की शुरुआत में एक रुपये की दर से पिरुल खरीदा गया। उसके बाद इसे बढ़ा कर दो रुपये किया गया। कीमत कम होने के कारण ग्रामीणों ने पिरुल इकट्ठा करने की योजना में दिलचस्पी नहीं ली।

 

50 रुपये हुआ तो बड़ी संख्या में जुटेंगे लोग

 

वन विभाग का मानना है कि पिरुल के दाम 50 रुपये प्रति किग्रा हुए तो बड़ी संख्या में लोग इस योजना से जुड़ेंगे। वन विभाग का अनुमान है कि चीड़ बाहुल्य क्षेत्रों में प्रतिदिन एक हेक्टेयर में 400 से 600 किग्रा पिरुल गिरता है। एक दिन में एक व्यक्ति 50 से 60 किग्रा पिरुल एकत्रित कर निकट के केंद्र में ला सकता है। यदि इसकी उसे 50 रुपये प्रति किग्रा के हिसाब से कीमत मिलती है तो उसे रोजाना 2500 से 3000 रुपये की आय होगी। बड़े फायदे का सौदा होने के कारण स्थानीय लोगों के अत्यधिक संख्या में योजना से जुड़ने की संभावना है।

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