सुबह 10 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर के 01 बजकर 16 मिनट तक रहेगा शुभ मुहूर्त
कुमाऊँ जनसन्देश डेस्क। हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ काम की शुरुआत ऊँ श्री गणेशायःनमः यानी गणपति देवता की पूजा से होती है। 19 सितम्बर यानी मंगलवार से गणेश महोत्सव की शुरुआत हो रही है। किसी भी कर्मकांड में श्री गणेश की पूजा-आराधना सबसे पहले की जाती है क्योंकि गणेश जी विघ्नहर्ता हैं, और आने वाले सभी विघ्नों को दूर कर देते हैं। श्री गणेश जी लोक मंगल के देवता हैं, लोक मंगल उनका उद्देश्य है परंतु जहां भी अमंगल होता है, उसे दूर करने के लिए श्री गणेश अग्रणी रहते हैं। गणेश जी ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार श्री गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करने का शुभ समय 19 सितंबर को सुबह 10 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर के 01 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
घर में ऐसे आसानी से बनाएं गणपति का प्रिय प्रसाद मोदक
मोदक बनाने के लिए सामग्री
नारियल- एक कप कद्दूकस किया
गुड़- एक कप
चावल का आटा- एक कप
केसर- 1 छोटा चम्मच
घी- मोदक तलने के लिए
नमक- चुटकीभर
जायफल- चुटकीभर
मोदक बनाने की आसान विधि
मोदक बनाने के लिए सबसे पहले स्टफिंग की सामग्री को तैयार कर लें। सबसे पहले आप नारियल को कद्दूकस कर लें। गुड़ को बारीक कूटकर दरदरा कर लें। गैस पर कड़ाही रखें और इसमें नारियल और गुड़ को डालकर कम आंच पर भूनें। 5 मिनट के बाद इसमें आप जायफल, केसर को भी मिला दें और अच्छी तरह से चलाते हुए भूनें। आंच को कम ही रखें वरना नारियल कड़ाही के तले में चिपक सकता है. अब आप गैस बंद कर दें और इस मिश्रण को ठंडा होने दें। चावल को मिक्सी में डालकर आटे की तरह पीस लें। इसमें थोड़ा सा नमक भी मिला दें। इसे बाउल में निकाल लें और 1-2 चम्मच घी डालकर अच्छी तरह से मिलाएं। हल्का गुनगुना पानी डालते हुए इसे गूंथ लें. थोड़ी देर के लिए इसे ढककर रख दें ताकि आटा सॉफ्ट हो जाए।
अब आटे की छोटी-छोटी लोई बना लें। लोई के अंदर नारियल वाले मिक्सचर को भर दें और चारों तरफ से मोड़ते हुए ऊपर से बंद कर दें। आप इसे मनचाहा शेप भी दे सकते हैं। कड़ाही गर्म करें उसमें घी डालें। जब घी गर्म हो जाए तो एक साथ 4-5 मोदक को डालकर तल लें। गोल्डन ब्राउन हो जाए तो प्लेट में निकाल लें। तैयार है भगवान गणेश जी को भोग लगाने के लिए स्वादिष्ट मोदक।
क्यों चढ़ाते हैं गणपति को प्रसाद में मोदक?
रिद्धि सिद्धि के देवता गणपति के पूजन में प्रसाद के रूप में खासतौर पर मोदक का भोग जरूर लगाया जाता है। कहा जाता है कि मोदक गणपति को बहुत पसंद है। लेकिन इसके पीछे पौराणिक मान्यताएं छिपी हुई हैं। पुराणों के अनुसार गणपति और परशुराम के बीच युद्ध चल रहा था, उस दौरान गणपति का एक दांत टूट गया। इसके चलते उन्हें खाने में काफी परेशानी होने लगी। उनके कष्ट को देखते हुए कुछ ऐसे पकवान बनाए गए जिसे खाने में आसानी हो और उससे दांतों में दर्द भी ना हो। उन्हीं पकवानों में से एक मोदक था। मोदक खाने में काफी मुलायम होता है। माना जाता है कि श्री गणेश को मोदक बहुत पसंद आया था और तभी से वो उनका पसंदीदा मिष्ठान बन गया था। इसलिए भक्त गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए मोदक का भोग लगाने लगे।
गणेश चतुर्थी व्रत व पूजन विधि
1. व्रती को चाहिए कि प्रातः स्नान करने के बाद सोने, तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें।
2. चैकी में लाल आसन के ऊपर गणेश जी को विराजमान करें।
3. गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू गरीबों या ब्राह्मणों को बाँट दें।
4. सांयकाल के समय गणेश जी का पूजन करना चाहिए। गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा व आरती पढ़ने के बाद अपनी दृष्टि को नीचे रखते हुए चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
5. इस दिन गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है।
6. ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं हों। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं।
7. गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है। मतान्तर से गणेश जी की तीन परिक्रमा भी की जाती है।