पड़ोसी गांवों के ग्रामीणों से सहयोग लेकर की गई अंत्येष्टि
कुमाऊं जनसंदेश डेस्क
बेरीनाग। जिंदगी मिली है तो मौत होना भी तय है। मगर मौत के बाद श्मशान पहुंचाने के लिए चार कांधे भी न मिल पाएं तो इससे बड़ी बिडंबना और लाचारी क्या हो सकती है। ऐसी ही एक झकझोर देने वाली घटना पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग से आई है। यहां आधे घंटे के अंतराल में दो वृद्धाओं की मौत के बाद उन्हें श्मशान तक पहुंचाने के लिए गांव में चार पुरुष कंधे भी नसीब नहीं हो सके। ऐसे में पड़ोस के गांवों से लोगांें को बुलाकर मृतकों को श्मशान तक ले जाया गया। सरकार गांवों में मूलभूत सुविधाओं को जुटाने के लाख दावे करें मगर हकीकत अक्सर घटनाओं के रूप में सामने आ ही जाती है। मगर सुविधाएं न होने से लगातार गांव के गांव खाली हो रहे हैं और कई गांवों में बस वृद्ध लोग ही रह गये हैं। कहने को पलायन आयोग का गठन किया गया है मगर यह आयोग भी लगता है अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए ही बनाया गया हो। वरना ऐसी तस्वीर सामने नहीं आती। जानकारी के अनुसार शनिवार देर रात बेरीनाग के ब्लॉक लिगुरानी गांव भूनी गांव में बीमारी से आधे घंटे के भीतर दो वृद्ध महिलाओं की मौत हो गई। एक साथ गांव में दो महिलाओं की मौत होने से गांव में माहौल रुदन हो गया। वहीं सबसे बड़ी लाचारी और मजबूरी मृतकों को श्मशान तक ले जाने की आ पड़ी। क्योंकि जानकारी मिली है कि गांव मेें इतने पुरुष नहीं थे कि वे वृद्धाओं को कंधा देकर श्मशान तक ले जाते। सामाजिक कार्यकर्ता वीरेन्द्र बोरा ने बताया कि धर्मा देवी उम्र 68 और जयन्ती देवी उम्र 72 साल की बीमारी के कारण शनिवार रात मौत हो गयी थी। गांव से इनके शव ले जाने को पुरुष मौजूद नहीं थे। ऐसे में पड़ोस के गांवों में संपर्क कर उनसे सहयोग लेकर मृतकों को श्मशान तक ले जाया गया। वहीं यह बात भी सामने आई है कि कई बार मांग करने के बाद भी गांव को जोड़ने वाली तीन किमी सड़क आज तक नहीं बन पाई है। इससे ग्रामीणों को आए दिन अलग-अलग तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। मगर सुनने वाला कोई नहीं है। वहीं पलायन आयोग गठन का मकसद भी सफल होता नजर नहीं आ रहा है।