डीएम अनुराधा पाल ने 31 अक्टूबर तक सभी दफ्तरों में ई-आफिस सिस्टम लागू करने के दिए निर्देश
बागेश्वर। सरकारी दफ्तर हों या डीएम आफिस। सभी की टेबलें फाइलों के बोझ से दबी रहती हैं। फाइलों का ढेर आफिस में भी साफ दिखाई देता है। लेकिन अब सब कुछ अगर ठीक रहा तो बागेश्वर डीएम की टेबल खाली दिखाई देगी। दफ्तर में भी फाइलों का ढेर नजर नहीं आएगा। दरअसल डीएम ने अफसरों को साफ निर्देश दिए हैं कि वे 31 अक्टूबर के बाद कोई भी पेपर फाइल नहीं देखेंगी और ई- आफिस के जरिए भेजी जाने वाली डिजिटली इलेक्ट्रानिक फाइलें ही देखी जाएंगी।
बागेश्वर जिलाधिकारी कार्यालय में अगले महीने से कागजी फाइलें नजर नहीं आएंगी। अफसर इंटरनेट के जरिए डिजिटली इलेक्ट्रानिक फाइल भेंजेंगे और डीएम उसमें कार्यवाही कर इलेक्ट्रानिक फाइल की स्वीकृति या अस्वीकृति का अनुमोदन भी डिजिटल रूप से करेंगी। इससे जहां समय की बचत होगी तो वहीं कागज की बर्बादी भी नहीं होगी और सरकारी कामकाज में भी तेजी आएगी। इस तरह से फाइल को ट्रैक करना भी आसान होगा।
बागेश्वर डीएम अनुराधा पाल ने जिले के सभी अफसरों को 31 अक्टूबर तक हर हाल मेें ई-आफिस संचालित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि वे 31 अक्टूबर के बाद किसी भी आफ लाइन फाइल को नहीं देखेंगी। इस सम्बंध में उन्होंने बैठक लेकर आवश्यक निर्देश दिए।वहीं उन्होंने अतिक्रमण से बचने और प्रभावी कार्रवाई करने के लिए सरकारी संपत्तियों का शत-प्रतिशत डिजिटाइजेशन करने के भी निर्देश दिए हैं।

ई-ऑफिस क्या होता है
ई-ऑफिस एक इलेक्ट्रॉनिक ऑफिस एंवायरनमेंट का एक डिजिटल प्रणाली है जो सरकारी और निजी संगठनों में ऑफिस कार्यों को सुगम और डिजिटल तरीके से संचालित करने के लिए डिजाइन किया जाता है। इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य कागजात के उपयोग को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ऑफिस कार्यों को सुगम और दिजिटल बनाना है।
ई-ऑफिस के कुछ मुख्य फायदे निम्नलिखित होते हैंः
कागजात की बचतः इसके माध्यम से डिजिटल डॉक्यूमेंट्स और इलेक्ट्रॉनिक फाइल्स का प्रबंधन किया जा सकता है, जिससे कागजात की बचत होती है और पर्याप्त स्थान की बचत होती है।
ट्रैकिंग और सुरक्षाः डिजिटल प्रणाली में डॉक्यूमेंट्स को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है और उनकी सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है।
कार्य प्रवृत्तियों की गतिः ई-ऑफिस के माध्यम से कार्य प्रवृत्तियों की गति बढ़ सकती है, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक कार्यफाइल्स को आसानी से साझा किया और प्रक्रियाएं तेजी से पूरी की जा सकती हैं।
प्रशासनिक प्रशासनः इस प्रणाली के माध्यम से व्यवस्थापनिक कार्य को सुगमता से किया जा सकता है, और बहुत सारे कार्य ऑटोमेटेड किए जा सकते हैं, जिससे कार्यक्रमों का सफल प्रबंधन किया जा सकता है।
ई-ऑफिस के अंतर्गत विभिन्न सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का उपयोग किया जाता है ताकि विभागों और कर्मचारियों के बीच काम को सुगम और दिजिटल बनाया जा सके। यह सरकारी और निजी संगठनों के लिए कार्यकारी और कुशलता को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण उपाय हो सकता है।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी आरसी तिवारी, प्रभागीय वनाधिकारी उमेश तिवारी, परियोजना निदेशक शिल्पी पंत, जिला विकास अधिकारी संगीता आर्या, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी दिनेश रावत, जिला पूर्ति अधिकारी मनोज बर्मन, जिला उद्यान अधिकारी आरके सिंह, मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. गीतांजलि बंगारी, अधि.अभि. लोनिवि डीएस कुटियाल, जल संस्थान सीएस देवडी, जल निगम वीके रवि, पीएमजीएसवाई वृजेंद्र कुमार, अमेंद्र रावत, सिंचाई केके जोशी, जेएस बिष्ट, लघु सिंचाई विमल सूंठा, वैबकॉस विशन लाल जिला कार्यक्रम अधिकारी अनुलेखा बिष्ट सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
