न जनप्रतिनिधि व अधिकारी, न ही सरकार कर रही बीज को पेटेंट कराने में मदद
हल्द्वानी। जहां केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है, वहीं विभाग भी किसान हितों का दावा करते हुए ताबड़तोड़ समीक्षा बैठकों में वक्त बिता रहे हैं। मगर एक किसान ऐसा भी है जो खुद के साथ ही और किसानों की आय दोगुनी करने की क्षमता रख रहा है, मगर इस किसान की न जनप्रतिनिधि, अधिकारी न ही विभाग सुन रहे हैं। दरअसल यह किसान खुद की लगन, मेहनत व विवेक के बल पर खोज निकाली गई गेहूं की एक बीज प्रजाति को अपने नाम से पेटेंट कराना चाहता है। पांच साल से विभागों और जनप्रतिनिधियों से मिल चुका है, मगर कोई हल नहीं निकला। बात यहीं खत्म नहीं होती। इस किसान का तो यह भी कहना है कि मैं तो पढ़ा लिखा हूं विभागों में जाकर अपनी बात रख सकता हूं और सम्बंधित विश्वविद्यालय के अलावा दिल्ली देहरादून के चक्कर भी अपने खर्च पर लगा सकता है। मगर जो किसान पढ़ा लिखा नहीं है और आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होने के बाद किसी बीज को अपनी समझ के बल पर खोज निकाले तो उसको पहचान कौन दिला पाएगा।
यह किसान कोई और नहीं बल्कि गौलापार, हल्द्वानी का रहने वाला प्रगतिशील किसान नरेंद्र सिंह मेहरा है। 2009 में खेत में काम करने के दौरान इन्हें गेहूं का एक अलग ही पौधा दिखाई दिया। कुछ खास और अलग तरह का होने के कारण मेहरा ने इसे संरक्षित कर लिया और आगे इसी पौधे से कुछ बीज तैयार करने शुरू कर दिये। बीज तैयार होने के बाद देखा तो पौधा काफी लम्बा निकला और सामान्य की अपेक्षा कल्ले भी अधिक निकले। उत्पादन की बारी आई तो इसमें भी लगभग दोगुनी वृद्घि देखी गई और आय भी दोगुनी हुई। अपनी खोज व विवेक से तैयार नए बीज के अधिक उत्पादन को देख सिर्फ प्रगतिशील किसान मेहरा ही हैरान व खुश नहीं हुए। बल्कि आसपास के किसानों ने भी उनसे बीज मांगकर उत्पादन करना शुरू कर दिया। वहीं विभागीय अधिकारियों ने भी उनके खेत में पहुंचकर खूब पीठ थपथपाई। यहां तक तो सब ठीक रहा। मगर इसके बाद किसान मेहरा की जो दिक्कतें हैं वह दूर नहीं हो रही हैं। वह भी एक दो महीने तक ही नहीं बल्कि पिछले पांच साल से कई चक्कर काटने के बाद भी उन्हें मायूसी हाथ लग रही है। दरअसल किसान मेहरा इस गेहूं की बीज प्रजाति को नरेंद-09 नाम से पेंटेट कराना चाहते हैं। ताकि वे अधिकृत रूप से इसे किसानों तक पहुंचाकर उनकी आय बढ़ाने में भागीदार बन सकें। मगर 2013 से लगातार पंत विवि के अलावा दिल्ली देहरादून के साथ ही जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों व सरकार तक भी कई बार बात पहुंचा चुके हैं। मगर बीज पेंटेट होने की दिशा में कोई तेजी नहीं आ रही है।
मेहरा ने बताया कि काफी जांच पड़ताल के बाद पता चला कि बीज का पेटेंट रजिस्ट्रार, प्रोटेक्शन आफ प्लांट वैरायटीज एंड फार्मर्स राइटस अथारिटी, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली में होता है। मगर यहां भी नवम्बर 2017 में बीज सैंपल का आवेदन पेंटेट के लिए जमा करने के बाद भी अब तक कोई जवाब नहीं आया है।

एमए और टूरिज्म का डिप्लोमा
हल्द्वानी। प्रगतिशील किसान नरेेंद्र सिंह मेहरा ने जियोग्राफी से एमए किया है। साथ ही टूरिज्म का डिप्लोमा भी लिया है। वे क्षेत्र के सक्रिय व्यक्तित्व के साथ प्रगतिशील किसान हैं। पिछले दिनों वे दिल्ली में आयोजित किसानों के राष्टï्रीय सम्मेलन में भी शिरकत कर चुके हैं।

क्या है बीज की खासियत
हल्द्वानी। प्रगतिशील किसान मेहरा ने बताया कि नरेंद्र-09 नाम से तैयार गेहूं का बीज 18 से 24 कुंतल प्रति एकड़ का उत्पादन देता है। जबकि सामान्य प्रजाति 12 से 14 कुंतल प्रति एकड़ का ही उत्पादन देती है। उत्पादन के लिहाज से नरेंद्र-09 बेहतर है। क्योंकि यह किसानों की आय दोगुनी करने में मददगार है। मगर यह तभी संभव है जब बीज का पेंटेट हो सके और उसे अधिकृत रूप से अधिकाधिक किसानों तक पहुंचाया जा सके।
