हल्द्वानी। हर साल 29 सितम्बर को विश्व ह्दय दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों को ह्दय रोगों से जुड़ी समस्याओं के प्रति जागरूक करने के साथ ही संतुलित खानपान और व्यवस्थित दिनचर्या जीने के लिए प्रेरित किया जाता है।
विश्व हृदय दिवस की पूर्व संध्या पर मुखानी स्थित जगदम्बा हार्ट केयर सेंटर में प्रेस वार्ता करते हुए वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. प्रकाश पंत ने कहा कि बदलती लाइफस्टाइल और खाने-पीने की गलत आदतों ने कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा दिया है जिनमें से एक हार्ट अटैक भी है। बेशक हार्ट अटैक बुजुर्गों की बीमारी थी, लेकिन अब ये यंग जनरेशन को भी प्रभावित कर रही है। पिछले कुछ सालों में ऐसे कई मामले सामने आए, जिसमें घर में हंसते-खेलते या जिम में कोई फिजिकल एक्टिविटी करते हुए युवा की हार्ट अटैक से मौत हो गई।
एक अध्ययन के मुताबिक वयस्कों में 72 फीसदी कार्डियक अरेस्ट अस्पताल में नहीं बल्कि घर में होते हैं। बड़ी बात यह है कि यह स्थिति बिना किसी वॉर्निंग के आती है। मगर एक ऐसा तरीका है जिसे करने के बाद मरीज के जिंदा रहने की संभावना दो से तीन गुना बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि कार्डियक अरेस्ट एक इमरजेंसी कंडीशन है। इसलिए आम जनता को इसकी बेसिक जानकारी होनी चाहिए। जब किसी मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो या वो बेहोश हो जाए तो सीपीआर से उसकी जान बचाई जा सकती है। वहीं हार्ट अटैक आने पर सबसे पहले सीपीआर दे दिया जाए तो मरीज को नई जिन्दगी मिल सकती है। सीपीआर दो तरह का होता है हैंड्स-ओनली सीपीआर और माउथ टू माउथ रेस्पिरेशन सीपीआर। हैंड्स ओनली सीपीआर में किसी व्यक्ति को मरीज की छाती को एक हाथ से दबाना होता है। जबकि माउथ टू माउथ रेस्पिरेशन में मरीज को मुंह से सांस दी जाती है।
ये है हैंड्स ओनली सीपीआर का सही तरीका
– सीपीआर देने के लिए, अपने हाथ की कलाई के ठीक पहले वाले हिस्से का इस्तेमाल करें
– अपनी भुजाओं को सीधा रखें
– व्यक्ति की छाती पर प्रति मिनट 100 से 120 बार दबाव डालें
– हर बार 2 इंच नीचे की ओर दबाव डालें
– दबाव के बीच छाती को पूरी तरह से ऊपर आने दें
– अगर आप बचाव सांसें देने में सक्षम है तो 30 दबावों के बाद 2 बचाव सांसें दें
– बचाव सांसें देने के लिए पीडि़त के सिर को पीछे की ओर झुकाएं, उसकी ठोड़ी को ऊपर उठाएं
– इस चक्र को तब तक जारी रखें जब तक कि मदद न आ जाए या वे सांस लेना शुरू न कर दें