उम्मीदों को फिर झटका…15 दिन बाद भी सुरंग से बाहर नहीं आ सके श्रमिक
उत्तरकाशी। सिलक्यारा में यमुनोत्री हाइवे के पास सुरंग में भूस्खलन होने से 12 नवम्बर से फंसे 41 श्रमिक अभी तक बाहर नहीं निकाले जा सके हैं। जबकि इगास पर्व के दिन दोपहर तक श्रमिकों के बाहर निकल आने की पूरी उम्मीद थी। लेकिन हर रोज नई बाधा सामने आने से 15 दिन बीत जाने के बाद भी श्रमिकों के बाहर आने की आस धरी की धरी रह गई है। वहीं उनके परिजनों के सब्र का बांध भी टूटता जा रहा है। हालांकि प्रशासन हर संभव राहत बचाव के उपाय कर रहा है। अब सरकार और प्रशासन चार योजनाओं पर काम कर श्रमिकों को बाहर निकालने पर विचार कर रहा है। हालांकि अब श्रमिकों को बाहर निकाले जाने में कई दिन का वक्त और लगना तय है।
योजना एक: ऑगर मशीन के फंसे हिस्से को काटकर निकाला जाएगा। इसके बाद मैन्युअली यानि मजदूर हाथों से खोदाई कर मलबा निकालेंगे।

योजना दो: इसमें निर्माणाधीन सुरंग के ऊपरी क्षेत्र में 82 मीटर दूरी पर खोदाई होगी। इसके लिए मशीन का प्लेटफॉर्म तैयार कर लिया गया है। मशीन के एक हिस्से को भी वहां पहुंचा दिया गया है।
योजना तीन: सुरंग के दूसरे छोर पाल गांव बड़कोट की तरफ से खोदाई का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। यह करीब पांच सौ मीटर हिस्सा है। इस अभियान में भी 12 से 13 दिन लगने का अनुमान है।
योजना चार: इसमें सुरंग के दोनों किनारों पर समानांतर (हॉरिजेंटल) ड्रिलिंग की जानी है। इसका सर्वे हो चुका है। रविवार को इस योजना पर भी काम शुरू किया जा सकता है।
बता दें कि दीपावली की सुबह मलबा आने के बाद से सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के अंतिम चरण में पहुंच चुके अभियान को अब तक का सबसे बड़ा झटका शुक्रवार की देर रात लगा। जब ड्रिल मशीन टूट गई और मशीन के ब्लेड 800 मिमी पाइप के भीतर ही फंस गए। बताया जा रहा कि मशीन की मदद से अभी तक करीब 47 मीटर तक ड्रिल हुई है। इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने मीडिया से बातचीत में बताया कि ऑगर मशीन अब काम करने लायक नहीं बची है। उन्होंने ये भी कहा कि क्रिसमस तक सभी मजदूर सकुशल लौट आएंगे।
