हल्द्वानी। सड़क और चौराहों के चौड़़ीकरण में बाधक बने दशकों पुराने पाखड़ समेत अन्य प्रजातियों के पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू हो गई है। दिल्ली से पहुंचे विशेषज्ञ की मौजूदगी में पेड़ों की प्रूनिंग कराने के बाद उनका एंटी फंगल ट्रीटमेंट किया गया। पेड़ों के चारों ओर खुदान कर अनावश्यक जड़ों को हटाया जा रहा है। इस दौरान सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेयी भी मौजूद रहे।
दिल्ली स्थित एक नर्सरी से आए ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ अजय नागर ने बताया कि वर्ष 2000 से वह पेड़ों के ट्रांसप्लांट का काम कर रहे हैं और अभी तक देश के कई छोटे-बड़े शहरों में 30 हजार से अधिक पेड़ों का सफल ट्रांसप्लांट कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि बड़े पेड़ों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने से पहले उनकी शाखाओं को काटकर उनका एंटी फंगल ट्रीटमेंट किया जाता है।
शाखाओं को इस तरह काटा जाता है कि उनमें बारिश का पानी न रुके। इसके बाद पेड़ के चारों ओर खोदाई कर उसकी अनावश्यक जड़ों को काटा जाता है। जड़ काटने के बाद खोदाई वाले भाग में दोबारा मिट्टी भरकर पेड़ को पोषक तत्व, फंगीसाइट, हारमोन और अन्य दवाएं डाली जाती है। कुछ दिन के अंतराल में मशीन से पूरे पेड़ पर एंटी फंगल स्प्रे का छिड़काव होता है।
इस प्रक्रिया के महीने भर के भीतर पेड़ में नई जड़ें निकलने लगती हैं और दोबारा पत्ते आने लगते हैं। तब बेहद सावधानी से पेड़ को उखाड़कर जड़ और मिट्टी को पैक कर दिया जाता है। फिर उसे जहां शिफ्ट करना हो वहां ले जाकर मशीन के माध्यम से रोप दिया जाता है। उन्होंने बताया कि अब तक वह ग्वालियर, दिल्ली, लखनऊ, काशीपुर, सितारगंज समेत कई जगहों पर इस काम को अंजाम दे चुके हैं। सिटी मजिस्ट्रेट वाजपेयी ने बताया कि पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने के बाद साल भर तक यही लोग उसकी देखरेख भी करेंगे।