हाईकोर्ट के आदेश का हम सम्मान, मगर सरकार को लोगों की करनी थी पैरवी: रावत
हल्द्वानी। पूर्व सीएम हरीश रावत पाँच सितम्बर को देहरादून में अतिक्रमण चिह्नीकरण के खिलाफ एक घंटे का मौन व्रत रखेंगे। उन्होंने स्वराज आश्रम में पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि राज्य में अतिक्रमण हटाने के नाम पर चिह्नीकरण किया जा रहा है जो लोगों की परेशानी का पर्याय बन गया है। उन्होंने कहा कि वे हाईकोर्ट के आदेश का हम सम्मान करते हैं लेकिन सरकार को लोगों की पैरवी करनी चाहिए थी। मगर ऐसा नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट में भी कांग्रेस ही लोगों की पैरवी करने पहुंची है।
रविवार को स्वराज आश्रम में हुई पत्रकार वार्ता में हरीश रावत ने कहा कि इस समय पूरा प्रदेश अतिक्रमण चिह्नीकरण की कार्यवाही से खासा परेशान है। सरकार भी कोई प्रभावी पहल करती दिखाई नहीं दे रही है। कहा कि सलउ़ी में तमाम लोगों को गैरकानूनी नोटिस दिए गए हैं। कहा कि कुछ लोग लीज को रिन्यूल नहीं करवा पाए हैं, सरकार उन्हें भी अतिक्रमणकारी मान रही है।
उन्होंने रेरा कानून की भी आलोचना की और कहा कि किसानों को पीड़ित करने के लिए ये कानून लाया गया है। कहा कि वे चिह्नीकरण के खिलाफ पांच सितंबर को देहरादून में एक घंटे का मौन व्रत रखेंगे।
इस दौरान विधायक सुमित हृदयेश, गोविंद सिंह कुंजवाल, हेमवती नंदन दुर्गापाल, भोलादत्त भट्ट, राहुल छिम्वाल, हेमंत बगड्वाल, सतीश नैनवाल, शोभा बिष्ट, राधा आर्या, मीमांशा आर्य, शशि वर्मा आदि रहे।
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