भूकम्प

उत्तराखंड में भूकम्प से डोली धरती, सहमे लोग, यहाँ पढ़े, आखिर आखिर क्यों आता है भूकम्प

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तेज झटकों से घरों और मकानों से बाहर निकले लोग, दहशत भरा रहा माहौल
हल्द्वानी। हल्द्वानी समेत उत्तराखंड के कई जिलों में मंगलवार दोपहर करीब 2 बजकर 51 मिनट पर भूकम्प के तेज झटके महसूस किए गए। तेज झटके लगते ही लोग दहशत में आ गए और आनन-फानन में घरों और कार्यालयों से बाहर निकले। 4.5 तीव्रता का के इस भूकम्प का केन्द्र नेपाल बताया जा रहा है।

आखिर क्यों आता है भूकम्प

भूकम्प (अर्थक्वेक) का कारण पृथ्वी की भौतिक संरचना के अंदर द्रव्यमान और ऊर्जा के स्तरों में बदलाव होने के कारण होता है। इसका मुख्य कारण पृथ्वी की तगड़ी कोर (कोर) में गर्मी की उत्पत्ति और प्राकृतिक गतिविद्धियों के परिणामस्वरूप होते हैं। धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है.

इसके कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित होते हैंः
तगड़ी कोर के प्रवृत्तियांः पृथ्वी की तगड़ी कोर अंदर से गर्म होती रहती है और इसमें मॉल्टन आग की तरह पिघले द्रव्यमान के द्वारा गतिविधि पैदा होती है। यह गतिविधि जब कोर की सतह पर प्राप्त होती है, तो भूकम्प के रूप में उजागर होती है।

समय के साथ तगड़ी कोर के तनावः पृथ्वी की कोर के भीतर कई कारणों से तनाव बढ़ सकता है, जैसे कि गर्मी के वितरण में असंतुलन, पथरीय बदलाव, और दबाव बढ़ना। इसके परिणामस्वरूप, जब इस तनाव का समाधान होता है, तो भूकम्प हो सकता है।

खंडन प्राकृतिक विपत्तियांः पृथ्वी की खंडन प्राकृतिक विपत्तियां, जैसे कि प्लेट तट की टक्कर, जो जब दो पृथ्वी के टुकड़ों में आपसी स्पर्श होती है, तो भूकम्प का कारण बन सकती है।

कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता
भूकंप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है। भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है।

जानें क्या है भूकंप के केंद्र और तीव्रता का मतलब
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति जैसे-जैसे दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है.

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