सीएम को भेजा पत्र

अतिक्रमण के नाम पर उजाड़ा तो राज्य का मूल अस्तित्व हो जाएगा समाप्त: भीमलाल

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घनसाली के पूर्व विधायक ने अतिक्रमण के नाम पर न उजाड़ने की लगाई गुहार
हल्द्वानी। प्रदेश सरकार की ओर से सड़क किनारों का अतिक्रमण हटाने में तेजी दिखाई जा रही है। वहीं इससे प्रभावित हो रहे लोगों की नींद और चैन खो गया है। तमाम जनप्रतिनिधि भी प्रभावित हो रहे लोगों के पक्ष में आकर सरकार से बरसों से बसे और अपनी आजीविका चले रहे लोगों को न उजाड़ने की गुहार लगा रहे हैं।
घनसाली के पूर्व विधायक भीमलाल आर्य ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर राज्य के मूल अस्तित्व को समाप्त न करने की गुहार लगाई है। इसके लिए उन्होंने मुख्यंत्री को पत्र भेजा है। पूर्व विधायक भीमलाल आर्य का कहना है कि सीमान्त विधानसभा क्षेत्र घनसाली (टिहरी गढ़वाल) के कोटी, फैगुल, भिलंग, नैलचामी, ग्यारगांव, हिन्दाव, थाती, बासर, कठूड़, गौनगढ़, आरगढ़ क्षेत्रों के छोटे बाजारों व बसावटों को प्रशासन और लोक निर्माण विभाग की ओर से अतिक्रमण के नाम पर ध्वस्त किया जा रहा है जिससे स्थानीय जनता और व्यापारी वर्ग में भय और दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है।
पत्र में पूर्व विधायक आर्य का कहना है कि वर्षो की मेहनत और कष्टकारी जीवन व्यतीत करने के बाद बड़ी मुश्किल से लोगों ने अपनी आजीविका चलाने का इंतजाम किया है, लेकिन सरकार की ओर से उन्हें अब उजाड़ने का प्रयास किया जा रहा है जो कि उचित नहीं है।
उनका कहना है कि अतिक्रमण के नाम पर की जा रही कार्यवाही से पहाड़ी क्षेत्रों में पलायन जैसी गंभीर स्थिति पैदा हो जाएगी और राज्य का मूल अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। उनका कहना है कि पहाड़वासियों को उनका मालिकाना हक दिलाने का सरकार प्रयास करे।

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