राहत सामग्री ले जाना सेवा का जवान

सेना के जवानों ने पेश की सेवा की मिशाल, फंसे हुए लोगों को भोजन-पानी के लिए पैदल नापी कई किमी की दूरी

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प्रभावितों के लिए कुक हाउस स्थापित कर उपलब्ध कराया भोजन
कुमाऊं जनसन्देश डेस्क
हल्द्वानी। दो दिन हुई भारी बारिश े बाद आपदा में फंसे और प्रभावित लोगों की मदद के लिए जिला प्रशासन, पुलिस, एसडीआरएफ के साथ ही भारतीय सेवा के जवानों ने निस्वार्थ भाव से सेवा की। सेवा के जवानों ने फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने और उन्हें भोजन उपलब्ध कराने के लिए कई किलोमीटर की पैदल दूरी भी नापी। लोगों ने भी प्रशासन के साथ ही सेवा के जवानों की इस निस्वार्थ सेवा की काफी सराहना की है।
नैनीताल जिले में लगातार बारिश के कारण कई भूस्खलन और सड़कें अवरुद्ध हो गई थी। सड़के कई स्थानों पर टूटने व मलवा आने के कारण नागरिक फंस गए। कई अलग-अलग जगहों पर मकान क्षतिग्रस्त हो गए और कुछ के हताहत होने की भी खबर मिली। स्थानीय प्रशासन, पुलिस, एसडीआरएफ को बचाव कार्य में लगाया गया, जिला प्रशासन, नैनीताल ने फंसे हुए नागरिकों को बचाने के लिए तुरंत सैन्य साहयता का अनुरोध किया। गरमपानी-खैरना-कैची इलाके के पास स्थिति बहुत गंभीर थी। घाटी प्रभावित हुई थी, नदी के अत्यधिक प्रवाह के कारण इमारतें खतरे में थीं।
जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने गत दिवस मंगलवार को 14 डोगरा रेजीमेन्ट रानीखेत को खैरना, कैची, निगलाट व रामगढ ़क्षेत्र में रहात बचाव कार्य हेतु वार्ता की। मैजर नरेन्द्र व मैजर कोयाक के नेतृत्व में बटालियन की ओर से तुरन्त 100 जवानों की दो रेस्क्यू टीमों को प्रभावित इलाकों में जाने के आदेश दिए गए हैं। रानीखेत से सुबह 11 बजे 100 जवानों की रेस्क्यू टीम रवाना हुई, रास्ते में सड़क जाम होने की वजह से देरी से बचाव दल दोपहर करीब तीन बजे प्रभावित स्थल पर पहुंचा, आगमन पर सेना ने स्थानीय अधिकारियों से स्थिति की जानकारी ली। बिना किसी देरी के भारतीय सेना के जवानों ने खैरना में फंसे लगभग 500 लोगों को पैक किया हुआ भोजन और खाने का सामान व पानी वितरित किया। बटालियन की मेडिकल रिएक्शन टीम के प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा चिकित्सा जांच कर चिकित्सा इकाई स्थापित कर लोगों का उपचार किया गया। घिंगरीखाल बटालियन के बचाव दल की तीन उप टीमों का गठन किया गया, जिन्होंने बचाव और राहत अभियान चलाया और गरमपानी और खैरना में फंसे लोगों की मदद की। खैरना से कैची धाम मार्ग बचाव और राहत कार्यों में बाधा डालने वाला प्रमुख चोक प्वाइंट था। भारतीय सेना के जवानों ने बचाव उपकरण और फंसे हुए लोगों के लिए भोजन, पानी जैसे राहत सामग्री के साथ खैरना से कैची धाम की दूरी पैदल तय कर निस्वार्थ सेवा की मिसाल पेश की। सभी फंसे हुए लोगों के लिए भोजन तैयार करने के लिए खैरना में एक कुक हाउस भी स्थापित किया गया था। सेना के पहुंचने और त्वरित बचाव कार्य कर फंसे हुए लोगों को निकाला गया।

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