रुद्रपुर में हाईवे स्थित डिवाइडर में लगे पौधों को सींचते डा. आशुतोष

डा. आशुतोष ने जगाया नगर आयुक्त जयभारत का पर्यावरण प्रेम

उत्तराखण्ड ऊधमसिंह नगर समाज
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पंत के अनुरोध पर तत्काल की सिंचाई के लिए टैंकर की निशुल्क व्यवस्था
रुद्रपुर। प्रकृति से बेहद लगाव रखने वाले आयुर्वेद चिकित्सक डा. आशुतोष पंत रुद्रपुर के नगर आयुक्त जयभारत सिंह के मन में पर्यावरण प्रेम को उभार लाए। इसी का परिणाम है कि नगर आयुक्त ने पंत के पर्यावरण व सूखते पौधों के प्रति चिंता देख तुरंत सिंचाई के लिए टैंकर भिजवा दिया। जबकि सिंचाई का जिम्मा संभालने वाले अफसरों का दिल अब तक नहीं पसीजा है। यहीं नहीं नगर आयुक्त ने आगे भी पौधों की निशुल्क सिंचाई करवाने का भरोसा दिया है।
रुद्रपुर के नगर आयुक्त जयभारत सिंह

रुद्रपुर के नगर आयुक्त जयभारत सिंहबता दें कि लाखों की लागत से रुद्रपुर में सिडकुल चाौक से इंदिरा चाौक तक डिवाइडर के बीचोंबीच 15 हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं। हर माह सिंचाई के लिए डेढ़ लाख से अधिक का बजट खपा दिया दिया जाता है। मगर इतना होने के बाद भी झुलसती गर्मी में सूख रहे पौधों की सिंचाई से जिम्मेदार विभाग मुंह फेरे हुए हैं। हालांकि इस सम्बंध में जिलाधिकारी डा. नीरज खैरवाल ने जांच के आदेश दिये हैं कि सिंचाई क्यों नहीं हो रही। मगर जांच रिपोर्ट आने तक ये पौधे कहीं सूख न जाएं इसको देखते हुए डा. आशुतोष ने नगर पालिका में संपर्क किया। सिंचाई के लिए वे अपने जेब से भी खर्च को तैयार थे। मगर यहां नगर आयुक्त जयभारत सिंह ने उनकी मंशा और उददेश्य जानकर निशुल्क सिंचाई की व्यवस्था करा दी और तुरंत मौक पर टैंकर भिजवा दिया। साथ ही भरोसा दिलाया कि वे आगे भी इन पौधों की निशुल्क सिंचाई करवा देंगे। इसके बाद पंत ने खुद भी पौधों की सिंचाई की। उन्होेंने सूख रहे पौधों की सिंचाई व्यवस्था निशुल्क कराने के लिए नगर आयुक्त जयभारत सिंह के साथ ही सहयोग करने वाले गौतम सिंह, राहुल पुरोहित, संजय शर्मा, कबीर आदि का सहयोग जताया। इधर सूख रहे पौधों की सिंचाई व्यवस्था हो जाने से पंत ने भी राहत महसूस की है। क्योंकि जिस विभाग पर सिंचाई की जिम्मेदारी है वह बजट खपाने के बाद भी सिंचाई को तैयार नहीं और नगर आयुक्त ने उनके अनुरोध पर निशुल्क सिंचाई व्यवस्था करा दी।

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हिंदी समाचार पोर्टल कुमाऊं जनसंदेश भी नगर आयुक्त जयभारत सिंह का पर्यावरण हित में दिये गए इस सहयोग के लिए आभार व्यक्त करता है। क्योंकि डा. पंत लम्बे समय से इन पौधों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं मगर सम्बंधित विभाग का अपेक्षित सहयोग नहीं मिला।

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