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बासमती चावल का स्वाद और गुणवत्ता रहेगी बरकरार, 10 कीटनाशकों पर लगाया प्रतिबंध

उत्तराखण्ड खानपान जैविक ताजा खबर देश/विदेश नैनीताल

स्वाद बिगड़ने से बासमती के निर्यात में आ रही थी कमी, यूपी में होती है प्रमुखता से खेती
हल्द्वानी। उत्तर प्रदेश में बासमती का स्वाद और गुणवत्ता बचाने के लिए 10 कीटनाशकों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। किसान इन कीटनाशकों का अधिक इस्तेमाल कर रहे थे। इसके चलते बासमती का असली स्वाद बिगड़ रहा था और यूरोपियन देशों में बासमती के निर्यात में 15 फीसदी तक कमी हो गई थी। वेस्ट यूपी के 30 जिलों में बासमती की खेती की जाती है।
अब यूपी में बासमती चावल की खेती के लिए खतरनाक साबित हो रहे 10 कीटनाशकों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इससे बासमती की खूशबू और स्वाद बरकरार रहेगा। पुराना स्वाद लौटने से बासमती के निर्यात में वृद्धि की उम्मीद है। इन कीटनाशकों में ट्राइसाक्लाजोल, बुप्रोफेजिन, एसीफेट, क्लोरपाइरीफोंस, हेक्साकलोनोजॉल, प्रोपिकोनाजोल, थायोमेथाक्साम, प्रोफेनोफोस, इमिडाक्लोप्रिड और कार्बेनडाजिम शामिल है।
बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (बीईडीएफ), मोदीपुरम के प्रधान वैज्ञानिक डा. रितेश शर्मा के अनुसार, बासमती की फसल में अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से बिगड़ रहे स्वाद को बचाने के लिए इन कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया गया है। किसानों को इसके प्रति जागरूक भी किया जा रहा है। यूपी, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड आदि राज्यों में किसानों को रसायनों का कम प्रयोग करने के लिए कहा जा रहा है।
बासमती चावल एक प्रमुख प्रकार का चावल है जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, और नेपाल में पाया जाता है। बासमती चावल की खास बात यह है कि इसका दाना बड़ा और लम्बा होता है, और जब इसे पकाते समय, यह अपनी खुशबू और विशेष आकर्षक आरोमा के लिए प्रसिद्ध है। बासमती चावल भारतीय खाने की परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और यह विश्वभर में एक प्रमुख चावल प्रजाति है, जिसका मूख्य उत्पादक देश भारत है।
बासमती चावल उत्तर प्रदेश की भौगोलिक संकेत (जीओग्राफिकल इंडेकेशन जीआई) श्रेणी की फसल है। इसमें लगने वाले कीटों व रोगों की रोकथाम के लिए कृषि रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इन रसायनों के अवशेष बासमती चावल में पाए जा रहे हैं। एपीडा (एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट ऑथरिटी ) की ओर से बताया गया कि यूरोपियन यूनियन द्वारा बामसती चावल में ट्र्राइसाइक्लाजोल का अधिकतम कीटनाशी अवशेष स्तर एमआरएल 0.01 पीपीएम निर्धारित किया गया है, लेकिन निर्धारित पीपीएम की मात्रा से अधिक होने के कारण यूरोप, अमेरिका एवं खाड़ी देशों के निर्यात में वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-2022 में 15 प्रतिशत की कमी आई है।

इन जिलों में होती है बासमती की खेती
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि बासमती की खेती वेस्ट यूपी के 30 जिलों में होती है। इनमें आगरा, अलीगढ़, औरैया, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदायूं, बुलंदशहर, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, गौमबुद्धनगर, गाजियाबाद, हापुड, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, कन्नौज, मुजफ्फरनगर, शामली, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर, संभल आदि शामिल हैं।

 

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