कार्यशाला को सम्बोधित करते मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी

बच्चों में सामाजिक परिस्थितियों का पड़ता है गहरा प्रभावः विपिन सांघी

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ने कार्यशाला को किया सम्बोधित
भवाली। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने कहा कि बच्चे निर्दोष होते और कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं। सामाजिक परिस्थितियों का उन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। कहा बच्चों का जीवन कैसे सुरक्षित हो, इस पर सभी को गम्भीरतापूर्वक ध्यान देने की जरूरत है बच्चो के लालन पालन, शिक्षा, खानपान एव अनुकूलित वातावरण का एक विशेष महत्व होता है जो बच्चे को बुरा और भले की परख कराता है इसलिए अभिवाको को अपने बच्चांे का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है ।

यह बात मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने उत्तराखण्ड न्यायिक एवं विधिक अकादमी, भवाली में कानून के साथ संघर्ष में बच्चों पर स्तरीय परामर्श (सीआईसीएल) रोकथाम, पुनर्स्थापनात्मक न्याय, विचलन और हिरासत के विकल्प के विषय पर उजाला भवाली में अकादमी स्थित ऑडिटोरियम में आयोजित एक दिवसीय कॉन्फ्रेन्स के दौरान कही।
इस अवसर पर परामर्श कार्यशाला के किशोर न्याय समिति, उच्च न्यायालय के सदस्य न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा, एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने भी अपने विचार रखे। कहा बाल अपराधों एवं बाल न्यायालय से जुड़े सभी संस्थाओं हित धारकों को सम्वेदन शीलता का परिचय देना चाहिए और अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना चाहिए। कार्यशाला में हक संस्था की एक्सक्यूटिव डायरेक्टर भारती अली, रेनू डोंडियाल एवं बचपन बचाओ आन्दोलन की एक्सक्यूटिव डायरेक्टर सम्पूर्ण बेहूरा ने विषय विशेषज्ञों के रूप में विभिन्न सत्रों में प्रतिभाग कर महत्पूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम को 4 सत्रों में बांटा गया। बाल अपराध की रोकथाम। परिवर्तन, बच्चे का निरूद्ध करने के विकल्प व पुलिस की भूमिका, निष्पक्ष सुनवायी का अधिकार, बाल हितैषी प्रक्रिया। पुर्नवास एवं पुर्नस्थापन की प्रद्धतियां।
इन विषयों पर चर्चा करने के लिए प्रतिभागियों को 4 समूह में बांटा गया था। प्रत्येक समूह ने इन विषयों पर चर्चा कर वास्तविक स्थितियों, चुनौतियों एवं समाधान जैसी बिन्दुओं के आधार पर अपना प्रस्तुतिकरण दिया।। इस दौरान कार्यक्रम में अनुज कुमार संगल महानिबन्धक, उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल हरीश कुमार गोयल, निदेशक, उत्तराखण्ड न्यायिक एवं विधिक अकादमी, भवाली प्रमुख सचि न्याय, नरेन्द्र दत्त, हरि चन्द्र सेमवाल, सचिव, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग रवि नाथ रमन, सचिव, शिक्षा, ए.डी.जे. लॉ एण्ड आर्डर ए.पी. अंशूमन, चेयरपर्सन एस. सी.पी.सी.आर. गीता खन्ना, डॉ पी.वी. के प्रसाद, ए.डी.जी.. डायरेक्टर प्रष्टकयूसन, अल्मोड़ा बागेश्वर, नैनीताल, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, पौड़ी गढ़वाल एवं हरिद्वार के जिला न्यायाधीशों, पुलिस विभाग एवं शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों तथा उच्च न्यायालय के सभी निबन्धक उपस्थित रहे।
कार्यशाला में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति, न्यायामूर्तिगण के अलावा अपर मुख्य सचिव,उत्तराखण्ड शासन,पुलिस महानिदेशक,उत्तराखण्ड, सहित राज्य के विभिन्न जिलों के जिला न्यायाधीशगण एवं अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीगण तथा अन्य विभागीय अधिकारियों सहित लगभग 120 से अधिक अधिकारीगण ने प्रतिभाग किया।

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