अल्मोड़ा। विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल जागेश्वर धाम में अब प्रसाद के साथ तांबे का स्मृति चिह्न भी दिया जाएगा। इस पर धाम का चित्र उकेरा होगा। यह ऐसी धरोहर है जो हर घर में प्रतिस्थापित होगी। ये सिक्के स्थानीय तांबा कारीगर तैयार करेंगे। जिला प्रशासन ने यह पहल अध्यात्म को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए की है। पिछले दिनों संपन्न हुई मंदिर प्रबंधन समिति की बैठक में प्रसाद का स्वरूप बदलने का निर्णय लिया गया था। तय किया गया था कि अब इलायची दाने के स्थान पर अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई के साथ ही जागेश्वर धाम की कथा वाली पुस्तिका और मंदिर की प्रतिमा वाला तांबे का सिक्का प्रसाद में दिए जाएंगे। यह प्रस्ताव समिति के अध्यक्ष डीएम आलोक कुमार पांडेय के पास ले जाया गया था। उन्होंने अपेक्षित संशोधन करते हुए प्रसाद के स्वरूप को जारी करने की अनुमति दी। अब अगले महीने से इसे लागू कर दिया जाएगा। जिला प्रशासन और मंदिर समिति ने तय किया है कि प्रसाद में वितरित की जाने वाली बाल मिठाई बनाने का कार्य महिला सहायता समूह से कराया जाएगा।
ताम्र उद्योग को भी मिलेगा बढ़ावा
जिला प्रशासन की सोच अगर धरातल पर उतरी तो यह अल्मोड़ा के ऐतिहासिक ताम्र उद्योग के लिए भी महत्वपूर्ण फैसला साबित होगा। डीएम आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि तांबे के सिक्के बनाने के लिए सारा काम अल्मोड़ा के ताम्र उद्योग से जुड़े कारीगरों को प्राथमिकता के आधार पर सौंपने का निर्णय लिया गया है। सैंपल के तौर पर कुछ कारीगरों से सिक्के बनवाए भी गए हैं।
गोल्ज्यू देवता मंदिर में भी लागू होगी व्यवस्था
श्री जागेश्वर धाम में लागू की जा रही प्रसाद की योजना को अल्मोड़ा के ऐतिहासिक गोल्ज्यू देवता मंदिर में भी लागू किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालु अपने घर जाकर सिक्कों को स्मृति चिह्न के रूप में प्रतिस्थापित कर सकें।

