कहा, ग्रामीणों के नुकसान के बिना बनेगी रिंग रोड अन्यथा नहीं बनेगी
हल्द्वानी। कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत ने गन्ना सेंटर में प्रस्तावित रिंग रोड के विरोध में विगत 22 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों के स्थानीय विधायक एवं संसदीय क्षेत्र के सांसद के सुध नहीं लेने की बात को निराधार बताया है। विधायक बंशीधर भगत ने दो टूक शब्दों में कहा कि उन्होंने प्रभावित ग्रामीणों को वचन दिया है कि रिंग रोड स्थानीय ग्रामीणों को बिना नुकसान के ही बनेगी अन्यथा रिंग रोड नहीं बनेगी।
ग्रामीणों के साथ रिंग रोड प्रकरण में रात दिन साथ खड़े रहने के बाद भी अगर कोई व्यक्ति यह कहता है कि विधायक सुध नहीं ले रहे तो उनके लिए नवरात्रि के अवसर पर यही कह सकता हूं.. जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देनी तिन तैसी.., धरना प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों को विपक्ष के हाथों की कठपुतली नहीं बनना चाहिए। रिंग रोड ग्रामीणों की भूमि से होकर न गुजरे उसके लिए वो स्वयं अपनी शतप्रतिशत मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में उनकी विधानसभा के ग्रामीण यह कहें कि सुध नहीं ले रहे तो पीड़ा होती है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के धरने पर बैठने से पूर्व ही उन्होंने कमलुवागांजा एवं रामपुर रोड क्षेत्र के जनप्रतिनिधि एवं स्थानीय जनता के साथ रिंग रोड प्रस्तावित क्षेत्र का भ्रमण कार्यक्रम बना लिया था। निर्धारित तिथि पर क्षेत्र में भारी बारिश एवं आपदा के चलते भ्रमण कार्यक्रम दो दिन के लिए स्थगित करना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने 23 सितंबर को क्षेत्र के समस्त प्रभावित ग्रामीण एवं विभागीय अधिकारियों के साथ भाखड़ा पुल से बेलबाबा मंदिर तक रिंग रोड प्रस्तावित क्षेत्र का निरीक्षण कर स्थानीय जनता को आश्वस्त करते हुए कहा था कि रिंग रोड विभाग द्वारा सीमाबंधित क्षेत्र से नहीं जायेगी, उसके स्थान पर भाखड़ा पुल से दीवारखत्ता के वन क्षेत्र से आनन्द पुर चौकी होते हुए बेलबाबा मंदिर पर निकाली जाएगी। इसके लिए लोक निर्माण विभाग एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।
उन्होंने कहा धरना प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण यदि राजनीति के अलावा स्थाई समाधान की चाहत रखते तो वे अवश्य सर्वे क्षेत्र के निरीक्षण पर निकले अधिकारियों के समक्ष आकर अपनी बात रख सकते थे, जबकि स्थानीय ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं स्थानीय ग्रामीणों ने भारी संख्या उस दिन मौजूद रहकर अधिकारियों के समक्ष रिंग रोड से हो रहे नुकसान की जानकारी को रखा था। जिस पर उन्होंने स्वयं विभागीय अधिकारियों को ग्रामीणों को हो रहे नुकसान का विधिवत आकलन कर रिपोर्ट शासन में प्रस्तुत करने निर्देश दिए और स्वयं भी मुख्यमंत्री से वार्ता करने को कहा है।

