इन्वेस्टर समिट में बहाए जा रहे पैसे की कैसे होगी भरपाई: माहरा
देहरादून। इन्वेस्टर समिट में दिखावे के नाम पर खर्च किए गए करोड़ों की भरपाई पर कांग्रेस ने चिंता जताई है। साथ ही राज्य सरकार को इन्वेस्टर समिट आयोजन के लिए बधाई देते हुए तमाम सवाल भी किए हैं। कहा कि निवेशकों के हित में शुरू की गई स्कीम चार साल में ही क्यों बंद कर दी गई।
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता कर कहा कि 2017 में भारत सरकार द्वारा हिमालयी राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर में औद्योगिक विकास के लिए आईडीएस यानि इंडस्ट्रियल डवलपमेंट स्कीम लॉन्च की गयी। इस स्कीम के तहत उपरोक्त राज्यों में निवेश करने वाले उद्योगों को भारत सरकार की और से 30 प्रतिशत सब्सिडी देने की बात कही गयी। माहरा ने कहा कि ये दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि इतनी लाभकारी स्कीम ने 4 वर्षों में ही दम तोड़़ दिया और 2021 में समाप्त कर दी गयी, जबकि वादा 5 वर्षों यानि 2022 तक के लिए था। इस स्कीम के तहत उत्तराखण्ड को जो राशि तय की गई थी उसमें से मात्र 1100 करोड़़ ही आतिथि तक प्राप्त हो पाया है। उद्योगों को मिलने वाली सब्सिडी का 5 हजार करोड़ भारत सरकार पर अभी भी बकाया है। माहरा ने कहा कि ये जहां एक और भारत सरकार का निवेशकों के साथ छल को उजागर करता है, वहीं दूसरी और उत्तराखण्ड की उद्योग नीति पर भी बड़ा प्रश्न चिन्ह लगाता है।
माहरा ने कहा कि राज्य सरकार में इन्वेस्टर समिट के मददेनजर 38 करोड़ से वॉल पेन्टिग, 22 करोड़ से लैंड स्केपिंग और 18 करोड़ की लागत से दुकानों पर भगवा बोर्ड लगाने पर खर्च कर दिए हैं। माहरा ने आशंका जताई कि जितना पैसा पानी की तरह इस समिट के लिए बहाया जा रहा है उसकी भरपाई किस तरह से हो पायेगी। माहरा ने पिछले दिनों प्रेसवार्ता के माध्यम से जो चुनिंदा नुकीले सवाल इन्वेस्टर समिट को लेकर राज्य सरकार से पूछे उनको लेकर भाजपा प्रवक्ताओं और नेताओं ने चुप्पी साध ली है।
वार्ता के दौरान प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन मथुरा दत्त जोशी,मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी, मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह, प्रदेश प्रवक्ता राजेश चमोली, शीशपाल सिंह बिष्ट, मोहन काला उपस्थित रहे।