हल्द्वानी। राज्य की लड़ाई लडऩे वाले आज भी उपेक्षित हैं। सरकार स्तर पर तमाम समस्याएं लम्बित रहने से वे अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। जल्द मांगों का निराकरण न होने पर राज्य आंदोलनकारी आंदोलन की राह अपना सकते हैं।
राज्य निर्माण आंदोलनकारी मंच की ओर से शनिवार को कमलुवागांजा रोड स्थित बैंकट हॉल में राज्य आंदोलनकारियों का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया। मंच ने तय किया कि शीघ्र एक 11 सदस्यीय कमेटी गठित की जाएगी। यह कमेटी प्रदेश में सर्वे करेगी जिसमें देखा जाएगा कि जिन्होंने राज्य निर्माण की लड़ाई लड़ी, क्या उनके सपनों का उत्तराखंड धरातल पर उतर रहा है। प्रदेश किस दिशा और दशा में जा रहा है। कमेटी नौ नवंबर से पहले अपनी रिपोर्ट देगी जिसे सरकार को सौंपा जाएगा। इसके बाद उठी ज्वलंत समस्याओं के निराकरण को लेकर सरकार मानी तो ठीक नहीं तो आंदोलन किया जाएगा।
इससे पहले मुख्य अतिथि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और विधायक हल्द्वानी सुमित हृदयेश ने कार्यक्रम की शुरुआत की। सम्मेलन में पूरे प्रदेश के अलग-अलग जगहों से राज्य आंदोलनकारी पहुंचे थे। संगठन के संयोजक भुवन चंद्र जोशी ने कहा आज आंदोलनकारी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। सरकारों ने उनकी उपेक्षा के सिवाय कुछ नहीं किया। आरोप लगाया कि जिन लोगों ने इस राज्य के लिए लड़ाई लड़ी उन्हें पीछे धकेल दिया गया। बारी-बारी से प्रदेश में सरकारें बनीं लेकिन आंदोलनकारियों की भूमिका को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। कहा कि जुमलों ने राज्य की परिकल्पनाओं को टिकने नहीं दिया। जिस राज्य को बनाने में महिलाओं की भूमिका सर्वोच्च रही, वह लोग आज चिन्हीकरण को भटक रहे है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आंदोलनकारियों की मांगों को सरकार के समक्ष पेश करने का आश्वासन दिया।
विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि वह आंदोलनकारियों की लड़ाई में उनके साथ है। कार्यक्रम का संचालन डा. केदार पलडिय़ा व प्रभात ध्यानी ने किया। इस दौरान पैन सिंह सिजवाली, हुकुम सिंह कुंवर, नीरज तिवारी, मनमोहन कँवल, हेमंत बगड्वाल, मोहन पाठक, धीरेंद्र प्रताप, हरीश पनेरू, हेम पाठक, सुशील भट्ट, डॉ. बालम बिष्ट,उमेश बेलवाल, तारा सिंह बिष्ट, पीएस रौतेला सहित बड़ी संख्या में राज्य आंदोलनकारी मौजूद रहे।

