हल्द्वानी। आज 13 फरवरी विश्व रेडियो दिवस के रूप में भी जाना जाता है। भले ही वर्तमान समय डिजिटल युग है लेकिन रेडियो का क्रेज आज भी कम नहीं हुआ है। देश के अधिकांश शहरों के साथ ही गांवों में भी रेडियो कार्यक्रम बड़े चाव से सुने जाते हैं। लोगों को रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों का बेसब्री से इंतजार रहता है।

video: https://www.youtube.com/watch?v=qbXWb5xmack
पहली बार 13 फरवरी 1945 को संयुक्त राष्ट्र रेडियो से रेडियो का प्रसारण हुआ था। रेडियो की महत्ता को समझते हुए हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है। औपचारिक रूप से पहला विश्व रेडियो दिवस साल 2012 में मनाया गया था।
स्पेन रेडियो एकेडमी ने साल 2010 में रेडियो दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद साल 2011 में यूनेस्को की महासभा में 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस घोषित किया गया। हर साल वर्ल्ड रेडियो डे के लिए एक थीम निर्धारित किया जाता था। इस साल 2025 में वर्ल्ड रेडियो डे का थीम है- ‘रेडियो और जलवायु परिवर्तनरू जलवायु कार्रवाई के लिए एक शक्तिशाली उपकरण।
भारत के संदर्भ में रेडियो का इतिहास देखें तो 1923 में रेडियो ब्रॉडकास्ट की शुरुआत हुई थी लेकिन 1930 में इंडियन ब्रॉडकास्ट कंपनी जिसे उस समय आईबीसी कहा जाता था, वह दिवालिया हो गई। इसके बाद ‘इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस’ का गठन किया गया और 8 जून 1936 को इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस ‘ऑल इंडिया रेडियो’ बनकर सामने आई। 1947 में आकाशवाणी के पास छह रेडियो स्टेशन थे और उसकी पहुंच 11 प्रतिशत लोगों तक थी। आज आकाशवाणी के पास 223 रेडियो स्टेशन हैं और उसकी पहुंच 99.1 फ़ीसदी भारतीयों तक है।
