भीमताल।भीमताल विधानसभा से वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनोज शर्मा ने मीडिया में जारी बयान में कहा कि “हर हाथ को काम दो, काम का पूरा दाम दो”इस क्रांतिकारी नारे के साथ 23 अगस्त 2005 को भारत की संसद ने सर्वसम्मति से दुनिया की सबसे बड़ी काम की गारंटी देने वाली योजना मनरेगा को कानून का रूप दिया था। यह पहली बार था जब केंद्र सरकार ने परिवार के एक इच्छुक सदस्य को 100 दिन का रोजगार देने की कानूनी गारंटी दी।
मनोज शर्मा ने कहा कि मनरेगा के अद्भुत परिणाम सामने आए। यह योजना केवल मजदूरों के लिए कल्याणकारी नहीं रही, बल्कि इसने ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल दी। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने 20 वर्ष पुरानी मनरेगा योजना को एक झटके में ध्वस्त कर दिया है।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक मनरेगा का पुनर्गठन नहीं, बल्कि इसकी अधिकार-आधारित और मांग-आधारित गारंटी को खत्म कर इसे एक सामान्य योजना में बदलने का प्रयास है। केंद्र सरकार ने मनरेगा के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ कर ग्रामीण गरीबों के काम के अधिकार को समाप्त करने की साजिश रची है।
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि मोदी सरकार ने लोकसभा में बिल पास कर दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना मनरेगा की आत्मा पर प्रहार किया है। पहले मनरेगा में केंद्र का अंशदान 90 प्रतिशत और राज्य का 10 प्रतिशत था, जिसे अब बदलकर केंद्र 60 प्रतिशत और राज्य 40 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे राज्यों पर लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।
मनोज शर्मा ने इसे केंद्र सरकार की राजनीतिक द्वेषपूर्ण कार्रवाई बताते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अपने राजनीतिक निहितार्थ सिद्ध करने के लिए गरीबों के अधिकारों की हत्या करने का काम किया है।

