विनीत उपाध्याय

।। चल निकले हैं वीर महान।।

उत्तराखण्ड ऊधमसिंह नगर देश/विदेश देहरादून नैनीताल मन की बात मेरी कलम से युवा विविध

विनीत उपाध्याय

मातृभूमि की रक्षा हेतु शौर्य दिखाने
स्वयं राष्ट्र का ऋण निपटाने
शत्रु का सीना चीर मिटाने
चल निकले हैं वीर महान।।

गददारों को मार भगाने
विपदा में पीड़ित को बचाने
देश का मस्तक गर्व से उठाने
सबसे आगे रहे सुजान।।

नभ, जल, थल की रक्षा हेतु
दुर्गम पथ को सुगम बनाने
दुर्दिल के मन को दहलाने
सीमा में खड़े हैं वीर जवान।।

राष्ट्र के मानव सचेत रहें
सीमा से शत्रु आंख दिखाये
घर का भेदी लंका ढाये
सुदृढ़ राष्ट्र की नींव हिलायें।।

इतिहास समय का मर्म बताता
क्रंदन कलंकित दुर्दिन दिखलाता
प्रतिद्वंद्वी का राज बताता
राष्ट्र विरोधी षड़यंत्रों को दर्शाता।।

शत्रु ने नित्य पीठ पर प्रहार किया
सम्मुख से मित्रता प्रकट किया
भारत के संयम का लाभ लिया
मातृभूमि पर पल-पल घाव दिया।।

घाव में हम पर अमिट हो गया
हम से हमारा अंश ले गया
मस्तक को हमारे चीर गया है
संयम को हमारे तोड़ गया है।।

समय ये निर्मम विस्फोटक सा है
जन-जन को मिलकर ढलना होगा
मिल-जुल कर शत्रु से लड़ना होगा
छाती उनकी विखंडित करना होगा।।

बंदूकों से अब मृत्यु ही निकले
निकली सांसें न वापस जाने पाये
लहू हमारी नजरों में हो
और धरा रक्त से लाल हो जाये।।

वीरभद्र अब चल निकला है
त्रिनेत्र स्वयंभू का जल निकला है
उठो मेरे भारत के मानस
कायर बनने का ये समय नहीं है
है समय में अंतिम शौर्य चाल का
शत्रु की घृ्रष्टता चीर डालने का।।

चल निकलो रण में तलवार लिये
देशप्रेम का मन में भाव लिये
देश प्रहरी का उत्साह बढ़ाओ
निश्चय कर देश को जीत दिलाओ।।

बतला दो अब हम न हैं डरने वाले
मस्तक तुम्हारा उड़ा जाएंगे
मातृभूमि की रक्षा हेतु
मरकर फिर मरने आयेंगे।

और छिलकर रख देंगे बदन तुम्हारा
आत्मा तक तन से खींच जायेंगे
लगायेंगे भारत माता की जय का नारा
मृत्यु मिलेगी, न आना यहां दोबारा।।

- विनीत उपाध्याय, एलएलबी, एलएलएम
अधिवक्ता डिस्ट्रिक्ट कोर्ट देहरादून व हाईकोर्ट नैनीताल।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *