आरक्षण की तस्वीर

जब प्रधानमंत्री झाडू पकड़ सकते हैं तो पंडित, ठाकुरों के युवा गटर साफ क्यों नहीं कर सकते

उत्तराखण्ड मन की बात मेरी कलम से

आरक्षण पर टकराव ठीक नहीं, ठाकुर, पंडित भी पकड़े झाडू
चंदशेखर जोशी
हल्द्वानी। यदि आरक्षण की खिलाफत हो तो सबसे पहले वाल्मीकि और दलित जातियों का सदियों से सफाई में जन्मजात आरक्षण खत्म किया जाए। सफाई कार्य में सवर्णों की भर्ती हो। जब देश के प्रधानमंत्री झाडू पकड़ सकते हैं तो पंडित, ठाकुरों के युवा गटर साफ क्यों नहीं कर सकते। इससे कई फायदे होंगे। एक तो इस कार्य को सम्मान मिलेगा, दूसरा तकनीक में बदलाव होगा। सफाई कार्य के लिए मशीनें आएंगी। हर जाति के लोग इस कार्य में लग जाएंगे तो उनकी पगार भी बढ़ेगी। गैर सवर्णों के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा अनिवार्य कर दी जाए। उनको उच्च शिक्षा दिलाई जाए, ताकि वह भी समाज की बराबरी कर सकें।
…रेलवे में आरक्षण खत्म होना चाहिए। आरक्षित कोच में पैसा देकर कोई अकेले या अपने कुत्ते को साथ लेकर एसी में सफर करे और सैकड़ों लोग दरवाजों पर लटक कर, खड़े-खड़े या शौचालय के दरवाजे पर टिक कर सफर करें ये ठीक नहीं। सफर में धन का आरक्षण खत्म किया जाए। यात्रा में मरीज को छोड़ कर हर व्यक्ति को एक सी सुविधा मिलनी चाहिए।
…स्कूलों में सेठों के बच्चों की पढ़ाई के लिए सीटें आरक्षित नहीं होनी चाहिए। और सरकारी स्कूल भी गरीबों के बच्चों के लिए आरक्षित नहीं होने चाहिए। इस व्यवस्था को उलट दिया जाए। बड़े चमचमाते स्कूलों में गरीबों के बच्चों को पढ़ाया जाए और सरकारी स्कूलों में धनपतियों के बच्चों को पढ़ाया जाए और इनसे फीस पूरी वसूली जाए। इससे बहुत सारे फायदे होंगे। जब पैसा अधिक आएगा तो सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाएं सुधरेंगी। बड़े लोगों के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक भी रोज होमवर्क करने के बाद स्कूल पहुंचेंगे, सदा अपडेट रहेंगे। कोई शिक्षक लापरवाही भी न कर पाएंगे। निजी स्कूलों में गरीबों के बच्चे पढ़ेंगे तो वहां के कम पगार पाने वाले शिक्षकों को अपने जैसे घरों के बच्चे मिल जाएंगे। वह इन बच्चों को अधिक मन लगाकर पढ़ाएंगे। व्यवस्था ऐसी की जाए कि सरकारी स्कूलों में बड़े लोगों से एकत्र हुए धन का एक हिस्सा ऐसे निजी स्कूलों में सरकार बांट दे। इस धन से चमकते स्कूलों की व्यवस्थाओं पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।
…मंदिरों में व्यास गद्दी पर पंडितों का आरक्षण खत्म किया जाना चाहिए। अब अन्य जातियों को भी धार्मिक किताबें पढ़कर उसे बांचने का मौका मिलना चाहिए। जब सभी लोग वेद-पुराण आदि धार्मिक किताबें पढ़ेंगे तो उन्हें इन पुस्तकों में लिखा गया ज्ञान सही से समझ आएगा। अभी तक केवल दूसरे के मुंह से सुनने से समाज का बहुत बड़ा तबका असल ज्ञान से वंचित रह जाता है।
…अस्पतालों में भी धन का आरक्षण खत्म कर दिया जाना चाहिए। हो सके तो इस व्यवस्था को भी उलट दिया जाए। जीवन सभी का अनमोल है। लेकिन पैसे वालों को इलाज के लिए अलग सुविधा मिलती हैं और गरीब को अलग। दोनों के लिए हैसियत के अनुरूप अस्पताल आरक्षित हैं। एक समाज का बीमार दूसरे समाज के लिए आरक्षित अस्पताल में नहीं जा सकता।
…अधिकतर नौकरियां प्राइवेट कंपनियों में हैं। यहां प्रमोशन में भी किसी प्रकार का आरक्षण नहीं होता, लेकिन यहां जी-हुजूरी कर बेहुनर लोग आगे बढ़ जाते हैं। इस व्यवस्था को भी बदलना चाहिए। खेतों का कार्य कम शिक्षितों के लिए आरक्षित है। इस आरक्षण को खत्म किया जाना चाहिए। पढ़े-लिखे युवाओं से खेती कराई जाए। इससे तकनीक में सुधार आएगा और उत्पादन भी बढ़ेगा।
…केवल चार प्रतिशत बाबू गिरी टाइप की सरकारी नौकरियों के लिए लडने का कोई मतलब नहीं। दुखी वह होते हैं जो कम अक्ल के होते हैं, यदि कोई युवा ज्ञानवान हो तो वह परीक्षा में टाप करे, उसके लिए सीट खाली रहती है। अंतिम पायदान पर रहने वाले युवा नौकरी न मिलने के लिए आरक्षण का बहाना न ढूंढें। अपनी कमजोरी को पहचानें, अधिक मेहनत करें। जब वह ज्ञानवान हो जाएंगे तो नौकरी न भी मिले तो किसी दूसरे क्षेत्र में शानदार जीवन बिताने लायक बन जाएंगे।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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